उत्तराखंड में दो बार बदले मुख्यमंत्री, लेकिन जिलों में अभी भी 'त्रिवेंद्र राज' बरकरार
त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने हिसाब से अफसरों की फील्डिंग लगाई. शासन से जिलों तक उन्होंने अपने और कुछ अपने खास अफसरों की पसंद के अधिकारियों की पोस्टिंग की.
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटे लगभग साढ़े चार महीने होने को है, उनके बाद तीरथ सिंह रावत आए और फिर विगत चार जुलाई को पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बन गए लेकिन जिलों में अभी भी "त्रिवेंद्र राज" है. स्थिति स्पष्ट है कि कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिलों में जो जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान तैनात किए थे उनमें से एक भी नहीं हटाया गया.
त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने हिसाब से अफसरों की फील्डिंग लगाई. शासन से जिलों तक उन्होंने अपने और कुछ अपने खास अफसरों की पसंद के अधिकारियों की पोस्टिंग की. कुछ दिन बाद फिर उन्होंने फेरबदल किया लेकिन उनके राज में एक ही जिले में तीन-तीन साल तक जिलाधिकारी जमे रहे. इसके बाद विगत दस मार्च को पार्टी हाईकमान ने त्रिवेंद्र रावत को गद्दी से हटा दिया और तीरथ रावत को मुख्यमंत्री बनाया.
यह बात दिगर थी कि त्रिवेंद्र सरकार में लोग और बीजेपी कार्यकर्ता जितने त्रस्त सत्ता संचालन करने वालों से थे उससे कहीं ज्यादा जिले के उन अफसरों से थे जो नेताओं से भी ज्यादा सत्ता के मद में चूर होकर पब्लिक से खेल रहे थे. लेकिन जब तीरथ मुख्यमंत्री बने तो नौकरशाही में बड़े फेरबदल के साथ ही यह उम्मीद थी कि सभी जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान बदले जाएंगे. लेकिन तीरथ ने अपने सचिवालय के अलावा कोई फेरबदल नहीं किया.
उधर नौकरशाही हाथ पर हाथ धरे इस उम्मीद में बैठी रही कि ट्रांसफर पोस्टिंग के बाद ही कामकाज शुरू किया जाएगा. अफसरशाही में तो कोई फेरबदल नहीं हुआ लेकिन पार्टी ने तीरथ सिंह रावत को चार महीने से भी कम समय में बदल दिया और विगत चार जुलाई को पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बन गए. इस बार कुछ अलग जरूर था, जैसे शपथ लेते ही अगले दिन प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश को हटाकर एनएचएआई के चेयरमैन सुखबीर सिंह संधू को मुख्य सचिव बना दिया गया. लेकिन पंद्रह दिन बीतने के बाद अभी तक जिलों में तैनात अफसरों को नहीं छेड़ा गया.
पंद्रह दिन हो गए और नौकरशाही अभी भी ट्रांसफर पोस्टिंग का इंतजार कर रही है. हालांकि कुछ तबादले जरूर हुए लेकिन खासतौर पर जिलों के डीएम और पुलिस कप्तानों के बदलने का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है. इसलिए प्रदेश में "पुष्कर राज" और ब्यूरोक्रेसी में भले ही "संधू राज" आ गया हो लेकिन जिलों में अभी भी "त्रिवेंद्र राज" ही चल रहा है. क्योंकि सरकार बदली लेकिन जिलों से त्रिवेंद्र के पसंदीदा अफसरों को नहीं छेड़ा गया.
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