देहरादून, एबीपी गंगा। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक में दो दिन पहले बादल फटने और भूस्खलन से मची तबाही वाले क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य मंगलवार को भी जारी रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। इस बीच, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की बचाव और राहत टीमों ने माकुडी गांव से एक और शव बरामद किया है। मृतक का नाम लाल बहादुर (60) है और वह नेपाल का मूल निवासी बताया जा रहा है। इसके साथ ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या 13 हो गयी। चार अन्य लोग अभी भी लापता है।


अभी तक माकुडी से सात, आराकोट से चार और टिकोची और सनेल से एक—एक शव बरामद किए गए हैं। 18 अगस्त को तड़के बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में आराकोट, माकुडी, मोल्डा, सनेल, टिकोची और द्विचाणु में कई मकान ढह गये थे। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री रावत ने मंगलवार को आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर वहां स्थिति का जायजा लिया। वह उन क्षेत्रों में भी गये जहां प्रभावित लोगों को ठहराया गया है। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि संकट की इस घड़ी में सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी।


सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से खाने के पैकेट, कंबल, दवाइयां और पीने का स्वच्छ पानी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाया गया। मौसम साफ होने के साथ ही बचाव दल आराकोट से टिकोच, डोचांग, माकुडी एवं चीवा के लिये रवाना हो गये हैं जबकि हेलीकाप्टर से प्रभावित क्षेत्रों के लिये एक मेडिकल टीम भी भेजी गयी है।


एसडीआरएफ द्वारा आराकोट तथा अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भोजन शिविर लगाये जा रहे हैं। जिन स्थानों के मार्ग अवरूद्ध हैं, उन स्थानों से संपर्क स्थापित करने के लिये वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की जा रही है। चीवा क्षेत्र में एक वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है जिसके लिए एसडीआरएफ के जवान मुस्तैदी से काम कर रहे हैं।


कल देर शाम प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मोरी में अतिवृष्टि से हुए जान-माल के नुकसान के संबंध में बैठक की तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी तेजी से बहाल करने तथा क्षेत्र में ट्रॉली स्थापित करने के निर्देश दिए।


मुख्य सचिव ने पेयजल विभाग को क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति शीघ्र सुचारू करने को कहा। उन्होंने कहा ‘‘समय बर्बाद नहीं होने देना है और जहां तक संभव हो, सामान पहुंचा देना है ताकि पुलों अथवा ट्रॉली की व्यवस्था होते ही आगे के राहत कार्य में अधिक समय न लगे।’’ उन्होंने सभी विभागों को पूरी योजना एवं आपसी तालमेल के साथ राहत कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने मृतकों के दाह संस्कार हेतु उनके परिजनों की भावनाओं के अनुरूप व्यवस्था करने को भी कहा।