Prayagraj Flood News: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और टोंस नदियां अब भी उफान पर हैं. बेहद धीमी रफ्तार ही सही, पर तीनों नदियों का जलस्तर अब भी बढ़ रहा है. ये नदियां आज भी खतरे के निशान से तकरीबन सवा से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही हैं. नदियों में आई बाढ़ ने ज़बरदस्त तबाही मचा रखी है. शहर से लेकर गांव तक हाहाकार मचा हुआ है. नदियां अपना दायरा तोड़कर सड़कों, कॉलोनियों, गलियों और दूसरे रिहाइशी इलाकों में बह रही हैं. 


बढ़ती जा रही है लोगों की मुसीबत 
प्रयागराज में राहत की बात सिर्फ इतनी है कि नदियों का जलस्तर बढ़ने की रफ़्तार काफी धीमी हो गई है. तीनों नदियां कभी एक सेंटीमीटर तो कभी आधा सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से ही बढ़ रही हैं. बाढ़ का पानी पिछले एक हफ्ते से लगातार भरा होने की वजह से रिहायशी बस्तियों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. लोगों को दूध के पैकेट और पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है. बड़ी संख्या में लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं. बाढ़ से एक लाख से ज़्यादा की आबादी प्रभावित है. पांच हज़ार से ज़्यादा लोग राहत कैम्पों में शरण लिए हुए हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सूबे के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह आज बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं. 


पानी सड़कों और गलियों में बह रहा है
प्रयागराज के करेलाबाग इलाके में यमुना और ससुर खदेरी नदी ने ज़बरदस्त कोहराम मचा रखा है. इन नदियों का पानी सड़कों और गलियों में बह रहा है. मकानों की एक मंज़िल बाढ़ के पानी में डूब गई है. लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं. हमारी टीम कल जब नाव के जरिए करेलाबाग इलाके का जायज़ा ले रही थी, तो पिछले दो-तीन दिनों से दूध और बीमार पति की दवा के लिए परेशान महजबीं नाम की एक महिला ने मदद की गुहार लगाई थी. छत से आवाज़ लगाने पर एबीपी संवाददाता मोहम्मद मोईन अपनी नाव लेकर उसके दरवाजे पर पहुंचे थे. मकान के निचले हिस्से में तकरीबन चार फीट पानी भरा हुआ था. हमारे संवाददाता ने उसे कड़ी मशक्कत के बाद अपनी नाव पर चढ़ाया और बाहर तक छोड़ा था. इस दौरान महिला का रेस्क्यू करने में हमारी टीम को पसीने छूट गए, क्योंकि खुद महिला के साथ हमारी टीम के भी बाढ़ के पानी में डूबने का खतरा था, क्योंकि घर के बाहर दस से बारह फिट तक पानी भरा हुआ था. 


ज़रूरतमंद लोगों की मदद
महज़बीं नाम की इस अधेड़ महिला के पति गंभीर रूप से बीमार हैं. घर में पति-पत्नी के अलावा और कोई नहीं है. उनकी इस परेशानी को समझते हुए हमारे संवाददाता मोहम्मद मोईन आज फिर से नाव पर सवार उनके घर तक गए. उन्हें दूध, ब्रेड, बिस्किट और पानी के पैकेट दिए. हमारी कोशिश ये थी कि हम सिर्फ रिपोर्टिंग करने के साथ ही ऐसे ज़रूरतमंद लोगों की मदद भी करें, जो बहुत ज़्यादा परेशान हैं और सरकारी अमला उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है. हमारे संवाददाता द्वारा खाने के सामान पहुंचाए जाने पर महज़बीं ने बार-बार एबीपी चैनल का शुक्रिया अदा किया.   


नजर आई जुगाड़ वाली नाव  
प्रयागराज के करेली इलाके की कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. तमाम कॉलोनियां तालाब में तब्दील हो गई हैं. पीछे की बस्तियों में मदद के नाम पर ना तो कोई राहत सामग्री पहुंच रही है और ना ही नावें. ऐसे में बीमार बड़े भाई की दवा लाने के लिए बारह-तेरह साल की कम उम्र के एक बच्चे ने जुगाड़ वाली नाव बनाई और अपनी ज़िंदगी को खतरे में डालकर उसके सहारे बाहर निकलता दिखाई दिया. उसने थर्माकोल में ऊपर लकड़ियां बांधी और उसी पर बैठकर तैरने लगा. जुगाड़ वाली नाव का चप्पू भी थर्माकोल के टुकड़े से ही बनाया गया था. इस बच्चे के जुगाड़ को देखकर जहां उसकी पीठ थपथपाने का मन हुआ तो वहीं दूसरी तरफ उसकी बेबसी और लाचारी देखकर मन व्यथित हो गया. बहरहाल हमारी टीम ने भी बाढ़ के पानी से बाहर निकलने में इस बच्चे की मदद की. 


दूध और ब्रेड के सहारे बीत रही है जिंदगी   
प्रयागराज के तमाम इलाके अब भी तालाब बने हुए हैं. मकान टापू में तब्दील हैं और ज़िंदगी घरों में कैद है. शहर के गौस नगर और करेलाबाग इलाके में नावें चल रही हैं. यहां तमाम लोग बाढ़ के पानी से घिरे हुए घरों में रह रहे हैं. मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकारी टीम यहां अब तक एक भी बार नहीं पहुंची है. यहां प्रशासन की तरफ से अब तक कोई राहत सामाग्री भी नहीं बांटी गई है. कुछ एनजीओ के लोग व सियासी पार्टियों से जुड़े लोग पीड़ितों को ज़रुरत का थोड़ा बहुत सामान देकर उनकी ज़िंदगी को थामे हुए हैं. पूर्व पार्षद नंद लाल निषाद तो एबीपी चैनल के साथ नाव पर बैठकर राहत सामग्री बांटने गए. यहां के लोगों को सरकारी अमले से काफी शिकायतें भी हैं.


नाविक कर रहें हैं लोगों की मदद 
प्रयागराज के करेली इलाके में बाढ़ के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि रिहाइशी बस्तियों में खुले स्कूल भी पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. ऐसे वक्त में तबाही के बीच सरकारी अमला पूरी तरह नाकारा साबित हो रहा है. वो परेशान लोगों को ना तो राहत सामग्री मुहैया करा पा रहा है और ना ही नाव. ऐसे में इसी इलाके में रहने वाले प्रहलाद और गोलू नाम के दो नाविक मुसीबत में घिरे लोगों के लिए मसीहा साबित हो रहे हैं. ये बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पूरे दिन नाव चलाते हुए मुसीबत के मारे लोगों को बाहर निकालते या उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाते हैं. बदले में ये किसी से एक पैसा भी नहीं लेते हैं. ये एक तरफ पीड़ितों की मदद कर उनकी दुआएं ले रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ नाकारा सिस्टम को आइना दिखाने का भी काम कर रहे हैं.



ये भी पढ़ें:  


संसद में हंगामा: मायावती बोलीं- सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध दुर्भाग्यपूर्ण, पहली बार देखा ऐसा दृश्य


अखिलेश यादव का बीजेपी पर तंज, 'बातों की खेती करने वाले यूपी में किसान सम्मेलन करेंगे'