यूपी: चाइनीज खिलौनों की चमक पड़ी फीकी, बनारसी रशियन डाल की फिर बढ़ी डिमांड
वाराणसी में बने लकड़ी के खिलौनों का बाजार सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों तक था. चाइनीज खिलौनों की लगातार बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी थी. लेकिन एक बार फिर वाराणसी और भारत के साथ ही विदेशों में काशी की गुड़िया और अन्य खिलौने डिमांड में हैं.
वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लकड़ी के खिलौने का व्यवसाय एक बार फिर पटरी पर लौटने लगा है. चीन के आधुनिक खिलौनों की चमक-दमक अब लोगों को प्रभाव में नहीं ले पा रही है लिहाजा अब बनारसी रशियन डाल और इसके साथ लकड़ी के लट्टू, चिड़िया और अन्य खिलौनों की डिमांड बढ़ गयी है.
कश्मीरी गंज में फिर से तेजी वाराणसी का कश्मीरी गंज मोहल्ला खिलौनों के लिए मशहूर है. पांच हजार की आबादी वाला ये मोहल्ला कभी चीन के चमकीले खिलौनों के दंश से प्रभावित था. यहां कभी निराशा थी लेकि आज यहां खुशहाली है. जो कारीगर कभी खाली बैठे थे आज वो काम में जुटे हैं. लकड़ी के कारीगर राजेन्द्र की मानें तो अभी जिस तरह से मांग बढ़ी है वो आगे और बढ़े तो अच्छा होगा.
पहले बदहाली अब बढ़ी मांग काशी के कश्मीरी गंज के बने लकड़ी के खिलौनों का बाजार सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों तक था लेकिन कोरैया की लकड़ी महंगी होने के साथ ही चाइनीज खिलौनों की लगातार बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी थी. लेकिन एक बार फिर वाराणसी और भारत के साथ ही विदेशों में काशी की गुड़िया और अन्य खिलौने डिमांड में हैं. लकड़ी के खिलौना के व्यवसायी अवार्डी रामेश्वर सिंह की मानें तो लकड़ी के खिलौनों की मांग बढ़ी है और अब आगे भी इसे नई ऊंचाइयां देने का प्रयास जारी है.
चाइनीज चमक पर भारी पड़ रही काशी की कला काशी की पहचान में शुमार लकड़ी के खिलौने एक बार फिर से चलन में आने के लिए तैयार हैं और फिर से चाइनीज चमक पर अपना दबदबा कायम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में हालात और बेहतर होने की संभावना है और नए तरकी से बाजार में उतरने की तैयारी है.
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