चिन्मयानंद केस: एसआईटी ने हाईकोर्ट को सौंपी स्टेटस रिपोर्ट, पीड़ित छात्रा पर लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार
स्वामी चिन्मयानंद केस में एसआईटी ने सोमवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट और केस डायरी पेश कर दी। अदालत एसआईटी की अबतक की जांच से संतुष्ट नजर आई। पीड़ित छात्रा पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है।
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प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। एलएलएम छात्रा से यौन शोषण के आरोप में जेल भेजे गए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के मामले में सोमवार को पीड़ित छात्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल करने के आरोप में पीड़ित छात्रा को फौरी तौर पर कोई राहत देने से इन्कार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच से अरेस्ट स्टे नहीं मिलने के बाद आरोपी छात्रा पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। हालांकि अदालत ने पीड़ित छात्रा को यह जरूर कहा है कि गिरफ्तारी पर रोक के लिए वह नये सिरे से रेग्युलर बेंच के सामने याचिका दाखिल कर सकती है।
चिन्मयानंद केस की सुनवाई सोमवार को हाईकोर्ट की कोर्ट नंबर 42 में जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस मंजू रानी चौहान की डिवीजन बेंच में हुई। करीब डेढ़ घंटे चली सुनवाई में सबसे पहले एसआईटी ने अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की।
एसआईटी के मुखिया और यूपी पुलिस के आईजी नवीन अरोड़ा ने तीन सीलबंद लिफाफों में प्रोग्रेस रिपोर्ट, केस से जुड़े वीडियो की पेन ड्राइव -सीडी दूसरे अहम दस्तावेज और केस डायरी कोर्ट में पेश की। अदालत एसआईटी की अबतक की जांच से संतुष्ट नजर आई। यूपी सरकार की तरफ से इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में किये जाने का अनुरोध किया गया, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया।
पीड़ित छात्रा ने ब्लैकमेलिंग केस में अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए स्पेशल बेंच में अर्जी दाखिल की। स्पेशल बेंच ने कहा कि वह सिर्फ एसआईटी जांच की मॉनीटरिंग कर रही है। अगर एसआईटी को लेकर कुछ कहा जाएगा तो कोर्ट उसकी सुनवाई करेगी। बाकी मामलों की नहीं। अदालत ने पीड़ित छात्रा से कहा कि वह नये सिरे से अर्जी दाखिल कर अरेस्ट स्टे के लिए बनी रेग्युलर बेंच में अपील कर सकती है।
छात्रा ने 164 के तहत अपना मजिस्ट्रेटी बयान फिर से कराए जाने का आदेश दिए जाने की भी मांग की। आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेटी बयान के वक्त वहां एक बाहरी महिला मौजूद थी। इसके अलावा उससे सभी पेज पर दस्तखत कराने के बजाय सिर्फ आख़िरी पेज पर ही साइन कराए गए। अदालत ने पीड़ित छात्रा की यह मांग भी ठुकरा दी। अदालत ने कहा कि यह मॉनीटरिंग का नहीं, बल्कि न्यायिक मामला है। इस मामले में ट्रायल कोर्ट में ही अर्जी दी जा सकती है।
हाईकोर्ट से कोई फौरी राहत नहीं मिलने की वजह से पीड़ित छात्रा पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। एसआईटी अब उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। अदालत इस मामले में अब 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी। उसी दिन एसआईटी को अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करनी होगी। अदालत से कोई राहत नहीं मिलने की वजह से न तो पीड़ित परिवार और न ही उसके वकील मीडिया के सामने आए। पीड़ित अपने परिवार वालों के साथ सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रही।
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