Chitrakoot Tiger Reserve: सीएम योगी की घोषणा के बाद टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारियां तेज, स्थानीय लोगों को ऐसे मिलेगा रोजगार
UP News: यूपी के चित्रकूट में टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा के बाद वन विभाग की 5 सदस्यीय टीम ने चित्रकूट में डेरा डाल लिया हैं. टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा होने के बाद तेजी के साथ काम किया जा रहा है.
Chitrakoot News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चित्रकूट में टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा के बाद वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ममता संजीव दुबे ने लखनऊ से 5 सदस्यीय टीम लेकर चित्रकूट में डेरा डाल लिया हैं. यहां पर्यटन विकास की संभावनाओं को तलाशने के लिए उन्होंने जंगली क्षेत्रों का भ्रमण किया है, इसके साथ ही उन्होंने रानीपुर वन्य जीव विहार क्षेत्र में टाइगर रिजर्व और रेस्क्यू सेंटर के अलावा पौधारोपण की स्थिति की जानकारी ली. उन्होंने जिले के धार्मिक स्थलों पर पौधारोपण और पर्यटन क्षेत्र से जोड़ने की कवायद को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. इसके साथ ही अपने अधिकारियों के साथ चित्रकूट के उन कई जंगली क्षेत्रों का भ्रमण किया है, जहां इको टूरिज्म की दृष्टि से उन क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा सके.
टूरिज्म को मिलेगा फायदा
प्रधान मुख्य संरक्षक और विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे का कहना है कि चित्रकूट में इको टूरिज्म के लिए बहुत पोटेंशियल है. चित्रकूट की पहाड़ियां बहुत खूबसूरत है, यहां की जो संस्कृति है और जो प्राकृतिक संपदा है. उसके बारे में देश-दुनिया के लोग जाने तो जाहिर है कि यहां का विकास भी होगा और यहां के जो स्थानीय लोगों को भी फायदा होगा. मैंने अपने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि यहां के पढ़े-लिखे लोगों को नेचर गाइड के रूप में ट्रेनिंग दी जाए ताकि टूरिस्ट के आने पर लोग उन्हें घुमाने में गाइड कर सके.
यहां जैसी जड़ी-बूटियां और कहीं नहीं मिल सकती
रानीपुर वन्य जीव विहार को टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा होने के बाद तेजी के साथ काम किया जा रहा है. यहां के जंगलों में ट्रेकिंग का कार्य बहुत अच्छा हो सकता है जो ट्रैकिंग के शौकीन है उनके लिए यें ऊंची पहाड़ियां बहुत अच्छी जगह हो सकती है. यहां की संस्कृति को भगवान श्री राम की शरण स्थली के रूप में जाना जाता है. यहां के जंगलों में ऐसी प्रजातियों की जड़ी-बूटियां हैं जो और कहीं नहीं मिल सकती हैं, इसके लिए भी हम कुछ कार्यक्रम करने की सोच रहे हैं ताकि जो लोग यहां आए सिर्फ मंदिर और मंदाकिनी नदी के दर्शन करके वापस न लौट जाएं बल्कि यहां के जंगल और आदिवासी लोगों की संस्कृति से भी परिचित हो.
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