Chitrakoot: चित्रकूट में पानी का सैलाब, स्टेट हाइवे पर वाहनों की जगह चलने लगी नाव, कई गांवों का शहर से संपर्क टूटा
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर गई है. इसके असर से कई गांवों का शहर से संपर्क टूट गया है. चित्रकूट के राजापुर से बांदा जाने वाला रास्ता पानी में डूब गया है.
UP News: चित्रकूट (Chitrakoot) में यमुना के बाढ़ (Flood) और बारिश के कारण स्टेट हाइवे पर वाहनों की जगह नांव दौड़ने लगी. गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्मस्थली राजापुर से लेकर महर्षि बामदेव की नगरी बांदा का मुख्य संपर्क मार्ग डूब गया है और अब बांदा (Banda) तक आने जाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना झेलना पड़ रहा है. राजeपुर-कमासिन बांदा मार्ग पर तीन फीट पानी भर जाने से आवागमन रोक दिया गया है. पानी बढ़ने से तिरहार क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव घिर गए हैं और ग्रामीणों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.
राजापुर और मऊ तहसील के इन गांवों में बाढ़ का संकट
चित्रकूट जनपद में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच चुका है जिसके चलते नदी किनारे बसे दो दर्जन से ज्यादा गांव में पानी घुस गया है. गांव का संपर्क शहर मुख्यालय से टूट गया है. राजापुर में यमुना खतरे की स्थिति 96 मीटर पर मानी जाती है जबकि आज जलस्तर 91.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. राजापुर क्षेत्र के अतरौली, नैनी, धौराहर, बरद्धारा, चांदी, धुमाई, बक्टा, हस्ता, बेलास, चिल्लीमल आदि गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं. मऊ क्षेत्र में भी जलस्तर बढ़ने से कई गांव पानी से घिर गए हैं. राजापुर तहसील में बाढ़ प्रभावितों को प्राथमिक कंपोजिट्स विद्यालय के आश्रय स्थल पर रुकवाया गया है और प्रशासन द्वारा खाने-पीने का इंतजाम किया जा रहा है. मऊ तहसील के मवईकला, सेसासुबकरा, बरहा कोटरा, बियावल और मंडोर गांव सहित एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
जिलाधिकारी अभिषेक आनंद और पुलिस अधीक्षक अतुल शर्मा अपने अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का लगातार दौरा कर रहे हैं और ग्रामीणों को हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दे रहे हैं. जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने कहा कि राजापुर और मऊ तहसील के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं. प्रभावितों को आश्रय स्थल में रुकवाया गया है. वहां लोगों के रहने, खाने-पीने और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की गई है.
बाढ़ राहत के लिए बनाया गया है कंट्रोल रूम
बाढ़ को देखते हुए प्रशासन ने जिलाधिकारी कार्यालय में बाढ़ कंट्रोल रूम बनाया गया है. कंट्रोल रूम में आपदा राहत कार्यालय के स्टाफ के साथ अन्य विभागीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो ग्रामीणों से मिलने वाली सूचना के आधार पर उन तक मदद पहुंचा रहे हैं. उधर, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की सुविधा नहीं पहुंचाई जा रही है सिर्फ उनको विद्यालय में रोक दिया गया है, ना तो उनके खाने-पीने का कोई इंतजाम किया गया है और न ही कोई मेडिकल व्यवस्था दी गई है. प्रशासन द्वारा चलाई जा रही नाव का किराया वसूला जा रहा है.
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