आगरा, नितिन उपाध्याय। आगरा में कब्रिस्तान में जगह की कमी को देखते हुए ईसाई समाज एक नई पहल करने जा रहा है। जिसमें आगे से एकल कब्र ना होकर फैमिली कब्र आपको कब्रिस्तान में देखने को मिलेगी। यानी एक फैमिली, एक कब्र। ईसाई समाज की संस्था आगरा ज्वाइंट्स सिमेट्रीज कमेटी (एजेएससी) ने फैसला लिया है। वह ईसाई समाज के लोगों को इस नए प्रयोग के लिए पहले भरोसे में लेगी और उसके बाद इसका आधिकारिक आदेश जारी कर दिया जाएगा कि मरने के बाद अब परिवार के सदस्यों को एक ही कब्र में दफनाया जाएगा। इसके लिए कब्र को गहराई तक खोदा जाएगा। एक शव को दफनाने के बाद स्लैब डाला जाएगा। इसी तरह से एक-एक कर अन्य शवों को दफनाया जाएगा। यह फैसला कब्रिस्तानों में पड़ रही जमीन की कमी के कारण लिया गया है। दूसरी वजह मौत के बाद भी परिवार को एक ही जगह रखना बताई जा रही है।


आगरा ज्वाइंट्स सिमेट्रीज कमेटी के चेयरमैन फादर मून लाजरस ने बताया कि हमारा मकसद कब्रिस्तान की जमीन में उन लोगों को सम्मान के साथ स्थान देना है, जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। जमीन की कमी के कारण यह फैसला लिया गया है। प्रार्थना सभा में लोगों को इसका महत्व समझाया जा रहा है। समाज के लोगों को समझ भी आ रहा है कि जमीन की दिक्कत वाकई में एक बड़ी समस्या बन चुकी है।



विदेशों और दक्षिण भारत के कई शहरों में एक कब्र में एक परिवार को दफनाने का सिलसिला चल रहा है। एजेसीसी के चेयरमैन मून लाजरस का कहना है कि वहां लोगों को इस बात का भी सुकून है कि जो परिवार जिंदगी भर साथ-साथ रहा, दुनिया छोड़ने के बाद भी वह परिवार एक ही कब्र में हमेशा के लिए सुकून की नींद सो रहा है।


मून लाजरस के मुताबिक आगरा में ईसाई समाज के चार कब्रिस्तान हैं, जिसमें भगवान टॉकीज चौराहे के पास स्थित कब्रिस्तान, तोता का ताल स्थित कब्रिस्तान, मरियम टूम्बस कब्रिस्तान और चौथा छावनी परिषद स्थित गोरों का कब्रिस्तान हैं।



आगरा में ईसाईयों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक आगरा में 12 से 15 चर्च हैं और आबादी करीब 12 से 15 हजार के बीच है। ऐसे में इन्हीं 4 कब्रिस्तानों में ज्यादातर जगह फुल हो चुकी है जिससे हाल ही में हुई लोगों की मौत के बाद उन्हें दफनाने के लिए जगह ना मिलना एक बड़ी समस्या है। ऐसे में आगरा के लोगों को भी अब फैमिली ग्रेव का नया कांसेप्ट समझ आ रहा है।