नई दिल्ली, एबीपी गंगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण आज रात लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण को देखने के लिए कई लोग उत्सुक हैं। इस पल को अपनी आंखों में कैद करने के लिए कई बेताब रहते हैं। चंद्र ग्रहण से जुड़ी कई मान्यताएं हैं तो वहीं, आज भी कई लोग चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को लेकर अंधविश्वास पाले हुए हैं। पुराने जमाने में तो ग्रहण को विनाश का संकेत तक माना जाता था। हालांकि यह सिर्फ एक खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जातो हैं तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है जिससे वह दिखाई देना बंद हो जाते हैं, इसी घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।


आज हम आपको चंद्र ग्रहण से जुड़े एक रोचक किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं। अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस के साथ सैकड़ों साल पहले कुछ ऐसा हुआ था जिससे उनकी और उनके साथियों की जान खतरे में पड़ गई थी। कोलंबस ने चंद्र ग्रहण का सहारा लेकर अपनी और अपने साथियों की जान बचाई थी।


यह किस्सा 11 मई 1502 का है जब क्रिस्टोफर कोलंबस अपनी आखिरी समुद्र यात्रा के दौरान अपने जहाजों के साथ स्पेन से निकला था। रास्ते में किसी परेशानी के कारण वो एक द्वीप में 6 महीनों तक फंस गए थे। इस द्वीप को आज जमैका के नाम से जाना जाता है। काफी समय तक यहां रुकने के कारण कोलंबस और उनके साथियों के पास खाने-पीने के सामान की कमी होने लगी। इस दौरान द्वीप पर रहने वाले कुछ लोगों ने कोलंबस और उनके साथियों की मदद की। द्वीप के लोगों ने ही सबके लिए खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया। हालांकि कुछ समय बाद द्वीप के लोगों ने धीरे-धीरे कोलंबस और उनके साथियों की मदद में कमी कर दी। जिसके कारण कोलंबस और उनके साथियों की भूख के कारण हालत खराब होने लगी। मामला बिगड़ता देख कोलंबस ने एक योजना बनाई।


दरअसल, कोलंबस ये जानता था कि 29 फरवरी 1504 को चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। कोलंबस ने इसी का फायदा उठा लिया। उसने द्वीप के लोगों से कहा कि भगवान आप लोगों से बहुत नाराज है क्योंकि वे लोग उनकी मदद नहीं कर रहे। कोलंबस ने बताया कि भगवान चंद्रमा को गायब कर देंगे और चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा। थोड़ी देर बाद वाकई में चंद्रमा लाल होने लगा। जिसके बाद द्वीप के लोगों के कोलंबस की बात पर भरोसा हो गया और उससे भगवान की नाराजगी दूर करने की अपील की। कोलंबस ने लोगों को बताया कि तय समय के बाद भगवान की नाराजगी दूर हो जाएगी और चंद्रमा की रोशनी फिर वापस आ जाएगी। कुछ देर बाद आसमान साफ हुआ और चंद्रमा की चमक वापस आ गई। इस घटना के बाद द्वीप के लोगों ने कोलंबस और उनके साथियों के खान-पान में किसी चीज की कमी नहीं होने दी। इस तरह भूख से मरने की कगार पर पहुंचे कोलंबस और उसके साथियों की जान बच गई।