UP News: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर नसीहत दी है. पत्र में उन्होंने कहा है कि जजों को मिलने वाली प्रोटोकॉल की सुविधा के इस्तेमाल से आम लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए. सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट जज के पास रेलवे कर्मियों पर अनुशासनात्मक क्षेत्राधिकार नहीं है. जजों को प्रोटोकॉल सुविधाओं का इस्तेमाल विशेषाधिकार पर जोर देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी को रेल यात्रा में हुई असुविधा पर रेलवे जीएम को नोटिस जारी किए जाने का है. जस्टिस गौतम चौधरी पत्नी के साथ 8 जुलाई को नई दिल्ली से प्रयागराज आ रहे थे. ट्रेन नंबर 12802 यानी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस तीन घंटे की देरी से प्रयागराज पहुंची. ट्रेन यात्रा के दौरान टीटीई और जीआरपी स्टाफ जस्टिस गौतम चौधरी को मौजूद नहीं मिला.
हाईकोर्ट को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की सलाह
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल ने रेलवे महाप्रबंधक से स्पष्टीकरण मांगा था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उत्तर रेलवे महाप्रबंधक को संबोधित 14 जुलाई 2023 के एक पत्र की ओर ध्यान आकर्षित हुआ है. हाईकोर्ट के अधिकारी को रेलवेकर्मियों से स्पष्टीकरण मांगने का कोई औचित्य नहीं था. जाहिर है हाईकोर्ट का अधिकारी मामले में जज के निर्देश का पालन कर रहा था. पत्र ने अदालत के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रतिक्रिया को जन्म दिया है.
सुविधाएं जजों का विशेषाधिकार नहीं
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को प्रोटोकॉल के तहत मिलने वाली सुविधा का दावा अधिकार के रूप में नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को इस आग्रह के साथ पत्र लिख रहा हूं कि साथी जजों के साथ आत्मचिंतन करें. अदालत के भीतर आत्मचिंतन और परामर्श जरूरी है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि जजों को उपलब्ध कराई जाने वाली प्रोटोकॉल सुविधाओं के इस्तेमाल से दूसरों को असुविधा या अदालत की सार्वजनिक आलोचना नहीं होनी चाहिए.