नई दिल्ली, एबीपी गंगा। नवंबर का महीना भारतीय राजनीति और न्यायपालिका के लिए खासा अहम साबित हो सकता है।  17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर होने वाले हैं, लेकिन उससे पहले कई अहम मामलों का निस्तारण हो सकता है। इन सभी मसलों को निस्तारित करने के लिए चीफ जस्टिस को शेष कार्यकाल में अवकाश आदि औपचारिकताओं के चलते सिर्फ आठ दिन का ही समय मिलेगा। शीर्ष अदालत में इस समय दीपावली का अवकाश चल रहा है, जो तीन नवंबर को खत्म होगा। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद संपत्ति विवाद, राफेल विमान घोटाले में शीर्ष अदालत के निर्णय के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिका, सबरीमाला मंदिर जैसे चर्चित मामले लंबित हैं।


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में चार नवंबर को दोबारा कामकाज शुरू होने के बाद 11 और 12 को फिर से सरकारी अवकाश है, जबकि बीच में शनिवार-रविवार को भी अवकाश रहेगा। इसी लिहाज से चीफ जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत्ति समारोह से पहले उन्हें महज आठ कार्य दिवस ही मिलेंगे। इन आठ कार्य दिवस में चीफ जस्टिस के सामने सबसे अहम चुनौती अयोध्या विवाद में सुरक्षित रखा गया फैसला सुनाने का है।


राम मंदिर केस के अलावा सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का मामला भी अहम है। इस मामले में संविधान पीठ ने 6 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह फैसला पुनर्विचार याचिकाओं पर है। सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष फैसला दिया था कि केरल के सबरीमाला अयप्पा भगवान मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाएं जा सकेंगी। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर अब फैसला आ सकता है।


राफेल विमान सौदे को लेकर भी फैसला आ सकता है। इस फैसले में मुख्य न्यायाधीश के साथ दो अन्य जज एसके कौल और केएएम जोसेफ हैं। यह मामला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले पर है जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है राफेल सौदे में गड़बड़ हुई है। इस मामले में कोर्ट के फैसले (सरकार को क्लीन चिट देने के) पर पुनर्विचार करने की याचिकाएं भी लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में कुछ नए दस्तावेज दाखिल किए हैं जिसमें सौदे में गड़बड़ी का दावा किया गया है। उन्होंने कोर्ट से कहा है इस पर फिर से विचार किया जाए।