कानपुर: शहर के विकास को लेकर कानपुर की महापौर प्रमिला पांडे और नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी में घमासान मचा हुआ है. मेयर प्रमिला पांडे ने नगर आयुक्त पर मनमानी करने का आरोप मढ़ा है तो, वहीं नगर आयुक्त अधिकारियों के साथ सदन में हुए दुर्व्यवहार को लेकर अधिकारियों के बचाव में उतर आए हैं. इन सबके बीच कानपुर का विकास किनारे हो चला है.


बता दें कि नेताओं और अफसरों की आपसी खींचतान और पार्षदों के अमर्यादित व्यवहार की वजह से नगर निगम का सदन अखाड़ा बन गया है. सदन की गरिमा तार-तार हो चुकी है और बैठक भी लगातार स्थगित हो रही है. महापौर सीधे नगर आयुक्त को और उनके तमाम अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं. अधिकारियों पर मनमानी करने का गंभीर आरोप भी मेयर प्रमिला पांडे ने मढ दिया है.


मेयर प्रमिला पांडेय का आरोप है कि...


- 15वें वित्त आयोग का 300 करोड़ से ज्यादा का प्रस्ताव IIT कानपुर को भेज दिया गया जिसमें उनके दस्तख़त तक नहीं हैं.


- IIT कानपुर के डीन के साथ मेयर ने बैठक कराने को लेकर नगर आयुक्त से कहा था. लेकिन उनकी इस बात को भी अनसुना कर दिया गया.


- चाचा नेहरू अस्पताल को कोरोना की तीसरी संभावित लहर से पहले नगर निगम के द्वारा शुरू किया जाना है. जिसके बारे में मुख्यमंत्री भी कानपुर के दौरे में घोषणा कर चुके हैं. लेकिन 4 दिन पहले नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने मेयर के सामने इस अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाए जाने का दस्तावेज पेश कर दिया. जबकि मेयर इसे नगर निगम के माध्यम से संचालित कराना चाहती हैं. 


- नगर निगम के अधिकारी पेयजल, सीवर, नाला सफाई जैसी समस्याओं के प्रति उदासीन बने हुए हैं.


इन सभी मसलों को लेकर मेयर और नगर आयुक्त आमने सामने हैं. हालांकि नगर आयुक्त की अपनी सफाई है. उनका कहना है कि अधिकारी मनमानी नहीं बल्कि काम कर रहे हैं. जब उनसे उनपर महापौर द्वारा लगाए गए आरोपों के बाबत बात की गई तो उनका कहना है कि अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब वो कैसे दे सकते हैं.


दरअसल, गुरुवार को नगर निगम सदन में पहली बार पीडब्ल्यूडी और केडीए के अधिकारी शामिल हुए थे. विकास कार्यों के मुद्दों पर जब बारी बारी से पार्षदों ने अधिकारियों के लापरवाह कार्य पर सवाल खड़े किए तो मामला धीरे धीरे तूल पकड़ने लगा. वहीं चलते सदन में जलनिगम के प्रोजेक्ट मैनेजर शमीम अख्तर को पार्षदों ने फूलों की माला पहनाकर उन्हें लज्जित कर दिया. पार्षदों द्वारा किए गए अधिकारी के इस अपमान पर नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी आगे आये, शमीम अख्तर को पार्षदों से बचाया और अपने अधिकारियों संग नाराज होकर सदन को छोड़कर चले गए. 


स्थगित सदन दोबारा शुरू हुआ मगर गुस्साए अधिकारी सदन में शामिल नहीं हुए. वही महापौर प्रमिला पांडे ने भी अपमान करने वाले तीन पार्षदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. अधिकारियों और पार्षदों के बीच हुई इस तनातनी में सदन को स्थगित कर दिया गया. वहीं महापौर प्रमिला पांडे ने नगर आयुक्त और उनके अधिकारियों पर मनमाने तरीके से काम करने की बात कही तो वहीं नगर आयुक्त ने भी इस पूरे मामले पर कहा कि मेयर ही अध्यक्षा हैं तो वह जांच करा कर कार्रवाई कर सकती हैं.


आने वाले दिनों में ये लड़ाई और गहराने जा रही है


मेयर और नगर आयुक्त के बीच मचा घमासान नगर निगम से निकलकर सड़क पर आ चुका है. मेयर का ये भी आरोप है कि किसी काम के बारे में पूछने पर नगर आयुक्त उन्हें पद से हटाने की धमकी भी देते हैं. इसीलिए आने वाले दिनों में ये लड़ाई और गहराने जा रही है. मेयर ने तय किया है कि अब वो अपनी इन शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री दरबार जा रहीं हैं. ताकि शहर का रुका हुआ विकास आगे बढ़ाया जा सके.


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