Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मसौदा तैयार करने के लिये बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है और जल्द ही राज्य में इसे लागू किया जाएगा.


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 12 फरवरी 2022 को (विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन) वादा किया था कि अगर हम सत्ता में दोबारा आए तो समान नागरिक संहिता लागू करेंगे. यहां एक कार्यक्रम में धामी ने कहा कि उत्तराखंड की जनता ने किसी राजनीतिक दल को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का अवसर देकर इस बात पर अपनी मुहर लगाई. उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए जनता ने हमें जनादेश दिया और अब हम अपना किया वादा अब निभाने जा रहे हैं.’’


गठित की थी विशेषज्ञों की समिति
राज्य सरकार ने कानून का मसौदा तैयार करने के लिये सत्ता में आते ही विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति ने इस दौरान दो लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव और विचार लिए. उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही यह मसौदा मिलेगा, उसे हम देवभूमि उत्तराखंड में लागू करेंगे.’’ उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि इस दिशा में देश के अन्य राज्य भी आगे आएंगे.


इससे पहले, नयी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कानून का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई ने घोषणा की कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार है और उसे जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा. देसाई ने कहा कि समिति ने सभी प्रकार की राय और चुनिंदा देशों के वैधानिक ढांचे सहित विभिन्न विधानों एवं असंहिताबद्ध कानूनों को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार किया है.


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UCC का मसौदा तैयार
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, समिति ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की ‘‘बारीकियों’’ को समझने की कोशिश की है. देसाई ने कहा, ‘‘मुझे आपको यह जानकारी देते हुए काफी प्रसन्नता हो रही है कि उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रारूप संहिता के साथ समिति की रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंप दी जाएगी.’’


राज्य सरकार ने मई में गठित समिति से उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत दीवानी मामलों से जुड़े विभिन्न मौजूदा कानूनों पर गौर करने और विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे विषयों पर मसौदा कानून या कानून तैयार करने या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने को कहा था. देसाई ने मसौदे या समिति की रिपोर्ट का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे पहले राज्य सरकार को सौंपना होगा.


उन्होंने कहा, ‘‘हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है. हमने भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है.’’ देसाई ने कहा कि समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है, लेकिन उनके नाम साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है. यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर बिंदु पर विचार किया है.’’