Joshimath Sinking: जोशीमठ के राहत कार्यों की CM धामी ने की समीक्षा, भूधंसाव पर अधिकारियों को दिए ये निर्देश
Joshimath News: सीएम धामी ने कहा कि विस्थापन के लिए वहां के लोगों से मिलकर सुझाव लिये जाएं और जिलाधिकारी चमोली स्थानीय लोगों से सुझाव लेकर शासन को रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजें.
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Joshimath Crisis: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने सचिवालय में जोशीमठ में चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा की. इस समीक्षा के बाद सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ में भू-धसांव के कारणों को लेकर सभी तकनीकी संस्थानों और वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आते ही आगे की योजना पर तेजी से कार्य किया जाए. जोशीमठ के भूधंसाव क्षेत्र के अध्ययन की फाइनल रिपोर्ट के बाद ट्रीटमेंट के कार्य तेजी से सुनिश्चित किए जाएं. सीएम धामी ने कहा कि विस्थापन के लिए वहां के लोगों से मिलकर सुझाव लिये जाएं और जिलाधिकारी चमोली स्थानीय लोगों से सुझाव लेकर शासन को रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजें.
वहीं सीएम ने कहा कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र से जिन लोगों को विस्थापित किया जायेगा उनको सरकार की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं की जायेंगी. इसके साथ ही सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के जिन शहरों में समुचित ड्रेनेज प्लान एवं सीवर सिस्टम नहीं हैं, उनमें ड्रेनेज एवं सीवर सिस्टम के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनाई जाए. इसके साथ ही शहरों को श्रैणी वार चिन्हित किया जाए.
जोशीमठ में 65-70% लोग सामान्य जीवन जी रहे
इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ में 65-70% लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. चार धाम यात्रा अगले 4 महीने में शुरू होगी और केंद्र सरकार जोशीमठ की वास्तविक स्थिति पर राज्य सरकार से अपडेट लेती रहती है. वहीं चमोली डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि जोशीमठ की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, हम पुनर्वास के संबंध में प्रभावित परिवारों के सुझाव और राय मांग रहे हैं. हम उनके सुझाव चाहते हैं ताकि हम पुनर्वास प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से अंजाम दे सकें.
जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में भी आईं दरारें
इसी बीच जोशीमठ में लगातार बढ़ रहे भू-धंसाव से अब स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है. यहां जांच करने आए वैज्ञानिक भी अब सुरक्षित नही हैं, जिस जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में वैज्ञानिक रुके थे, उसमें दरारें आ गई हैं. यह गेस्ट हाउस भी अब भू-धंसाव की जद में आ गया है. जोशीमठ में जांच के लिए आने वाले वैज्ञानिकों और अफसरों को गांधी मैदान के पास जीएमवीएन के वीआईपी गेस्ट हाउस में ठहराया गया था.
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