इस संवैधानिक नियम के फेर में फंसकर हुई सीएम तीरथ सिंह रावत की विदाई, पढ़ें ये रिपोर्ट
Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat resigns: उत्तराखंड में सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने जिस संवैधानिक संकट का हवाला देते हुये अपना पद छोड़ा है, एक बार उसे भी समझ लीजिए.
CM Resigns in Uttarakhand: उत्तराखंड में 10 मार्च 2021 को नेतृव परिवर्तन हुआ था, जिसके बाद से चर्चा हो रही थी कि नए मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत अब प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाएंगे, लेकिन अभी तीरथ सिंह रावत को सीएम बने चार महीने भी नहीं हुआ है और अब फिर से उत्तराखंड में बीजेपी सीएम बदलने जा रही है. इस बार वजह है तीरथ रावत का विधानसभा का सदस्य न होना और विधानसभा चुनाव होने में एक वर्ष से कम समय का होना.
तीरथ ने पार्टी अध्यक्ष को लिखा पत्र
उत्तराखंड के सीएम तीरथ रावत को पार्टी ने आलाकमान ने 27 से 29 जून को रामनगर में हुई चिंतन बैठक के बाद दिल्ली तलब कर लिया था. जिसके बाद 30 जून को तीरथ रावत दिल्ली पंहुचे और रात में 12 बजे गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पंहुचे. डेढ़ घण्टे की मुलाकात में तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई जिसके बाद सीएम तीरथ को दिल्ली में ही रहने का आदेश देता हैं और फिर कल दोपहर 1: 15 पर सीएम ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा वो वर्तमान में विधायक नही हैं, संविधानिक नियम के तहत उपचुनाव नहीं हो सकते लिहाजा अब वो पदमुक्क्त होना चाहते हैं पार्टी किसी और को दायित्व सौंपे.
चुनाव आयोग का नियम है वजह
चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के तहत ऐसे राज्य में जहां चुनाव होने में एक साल का वक़्त बचा हो और उपचुनाव के लिए रिक्त हुई सीट अगर एक वर्ष से कम समय में रिक्त हुई है तो चुनाव नहीं होगा लिहाजा उत्तराखंड में अभी मौजूदा वक्त में दो विधानसभा सीट रिक्त हैं. पहली गंगोत्री सीट जो कि अप्रैल में गोपाल सिंह रावत के निधन की वजह से रिक्त हुई और दूसरी सीट है हल्द्वानी, जो की इसी जून माह में कांग्रेस की कद्दावर नेता इंदिरा हिरदेश के निधन की वजह से रिक्त हुई है. मौजूदा नियम के मुताबिक दोनों सीट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम समय होने के बाद रिक्त हुई है, लिहाजा इन पर चुनाव नहीं हो सकता है.
उत्तराखंड के साथ बीजेपी ने धोखा किया
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी ने सत्ता से हटाया था तो बीजेपी ने स्वीकार कर लिया था कि पिछले 4 सालों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई काबू करने में वो विफल रही हैं, लेकिन जब तीरथ रावत को सीएम बनाया गया तो क्यों नहीं, तब सारे प्रावधान देखे गए. उत्तराखंड में जो राजनीति बीजेपी कर रही है वो दुःखद है अब किसी को भी सीएम बनाया जाए, जनता के साथ हुए धोखे का हश्र 2022 में दिखेगा.
आज चुना जा सकता है नया सीएम
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में देहरादून जाएंगे जहां पर विधानमंडल दल की बैठक में वो नए सीएम के नाम की घोषणा कर सकते हैं.
अभी भी सांसद है तीरथ सिंह रावत
2019 में बीजेपी से पौढ़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने तीरथ सिंह रावत ने अब तक अपने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया है लिहाजा सीएम पद से हटने के बाद वो बतौर सांसद कायम रहेंगे.
ये भी पढ़ें.
उत्तराखंड में नये मुख्यमंत्री का अगला चेहरा कौन, ये नाम रेस में सबसे आगे