लखनऊ, एजेंसी। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार कदम उठा रही है. इसी क्रम में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण लखनऊ और गोरखपुर में किये जाने की इजाजत मुख्यमंत्री योगी ने दे दी है. भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल उत्तर प्रदेश के इन दो शहरों में करने को लेकर मंजूरी दी गई है. इसके लिए संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ. आर.के. धीमन को लखनऊ का नोडल अधिकारी और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. गणेश कुमार को गोरखपुर का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. यह लोग भारत बॉयोटेक के वैज्ञानिक नोडल अधिकारियों के सहयोग से वैक्सीन का क्लीनकल ट्रायल करेंगे.
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने इसका आदेश जारी कर दिया है. कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए वैक्सीन बनायी जा रही है. कोवैक्सीन की क्षमता और सुरक्षा का पता लगाने के लिए यह ट्रायल होगा. मानव पर होने वाला यह तीसरे चरण का प्रयोग संवेदनशील होता है. कंपनी इस महीने के अंत या फिर अक्टूबर के पहले सप्ताह में तीसरे चरण का ट्रायल शुरू कर सकती है.
पहले स्वदेशी टीके की तैयारी
भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) के साथ मिलकर यह पहला स्वदेशी टीका कोवैक्सीन तैयार कर रहा है. फिलहाल दो चरण के ट्रायल किए जा चुके हैं. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि तीसरे चरण का ट्रायल यूपी में लखनऊ और गोरखपुर में करने को मंजूरी दी गई है. इसमें इन दो संस्थानों के साथ-साथ और लोगों पर भी इसका परीक्षा किया जाएगा.
ऐसे होती है टीके की जांच
विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन के तीसरे चरण में देखा जाता है कि लोगों की बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है या नहीं. इसका कोई दुष्परिणाम तो नहीं हो रहा है. कोवैक्सीन के ट्रायल के तहत कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर व अन्य अलग-अलग उम्र के लोगों को टीका लगाया जाता है. टीका लगाने से पहले एंटीबाडी चेक की जाती है, अगर एंटीबाडी शून्य है तो टीका लगाया जाता है. फिर दोबारा खून के नमूने की जांच होती है, अगर एंटीबाडी बन रही है तो टीका काम कर रहा है.
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