(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP News: सीएम योगी के निर्देश के बाद एक्शन शुरू, इन जिलों के किसानों को मिलेगी राहत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के निर्देश पर ओलावृष्टि/वर्षा से हुई फसल क्षति का सर्वेक्षण कराया गया है. इस संबंध में संबंधित जिलाधिकारी राहत प्रदान किए जाने के लिए काम कर रहे हैं.
UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार को कहा था कि मार्च में प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में हुई असमय वर्षा और ओलावृष्टि के कारण किसान और कृषि उपज पर व्यापक दुष्प्रभाव पड़ा है. इसकी जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई. जानकारी में कहा गया था कि विगत 24 घंटों में ओलावृष्टि/वर्षा से हुई फसल क्षति का सर्वेक्षण तत्काल कराकर प्रभावित किसानों को अनुदान राहत प्रदान किए जाने के निर्देश संबंधित जिलाधिकारियों को दिए हैं.
इसकी अपडेट जानकारी देते हुए सीएम कार्यालय ने ट्वीट कर लिखा, "प्रदेश के 11 जनपदों में कुल 01 लाख 07 हजार 523 किसानों का कुल 35,480.52 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है. प्रभावित किसानों को कुल ₹5,859.29 लाख देय है." अगले ट्वीट में लिखा, "15 मार्च, 2023 से अब तक हुए सर्वे में प्रदेश में हुई बेमौसम बारिश/ओलावृष्टि से 11 जनपदों प्रभावित हुए हैं." जिलों में किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाएगा.
इन जिलों में हुआ नुकसान
दी गई जानकारी के अनुसार, "फतेहपुर में 5,026 किसानों का 1,343 हेक्टेयर, आगरा में 4,738 किसानों का 2,804.15 हेक्टेयर, बरेली में 3,090 किसानों का 559 हेक्टेयर, चंदौली में 11,265 किसानों का 2,986.81 हेक्टेयर, हमीरपुर में 396 किसानों का 271.83 हेक्टेयर, झांसी में 205 किसानों का 145 हेक्टेयर, ललितपुर में 7380 किसानों का 6,216.23 हेक्टेयर, प्रयागराज में 9,252 किसानों का 4,448.20 हेक्टेयर, उन्नाव में 5,505 किसानों का 2,801 हेक्टेयर, वाराणसी में 58,393 किसानों का 13,112 हेक्टेयर और लखीमपुर खीरी में 2,273 किसानों का 792.52 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है."
एक सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने एक उच्च-स्तरीय बैठक में विगत दिनों प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई असमय वर्षा और ओलावृष्टि से उपजी स्थिति की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिये थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कारणों से गेहूं आदि की फसलें खराब हो सकती हैं और इनसे फसलों की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है. ऐसी फसलों की भी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत की जानी चाहिए और इसके लिए आवश्यकतानुसार नियम में ढील दिये जाने को लेकर आवश्यक प्रस्ताव तैयार किये जाएं.