CM Yogi Adityanath: यूपी उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच उपचुनाव की तैयारियों को लेकर मंथन किया गया. दोनों के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुईं जिसके कई मायने निकाले जा रहा है. माना जा रहा है कि भागवत-योगी की मुलाकात से यूपी में हार्ड हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को और बल मिलेगा.
मंगलवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत मथुरा में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के लिए आए थे, जहां सीएम योगी ने उनसे मुलाकात की. दोनों के बीच यूपी से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक पर बात हुई. जिनमें उपचुनाव से लेकर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव, प्रदेश की कानून व्यवस्था, नेपाल से सटे जिलों में घुसपैठ, सीमा के इस पार और उस पार अवैध मदरसों की बढ़ती संख्या को लेकर मंथन किया गया.
दोनों के बीच हुई बातचीत में ये तय किया गया कि अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर निर्माण और बाबा विश्वनाथ कॉरिडर के बाद अब मथुरा पर फोकस किया जाएगा. ऐसे में उन्होंने मथुरा के भविष्य की स्क्रिप्ट पर भी चर्चा की. जाहिर है ऐसे में आने वाले दिनों में प्रदेश में हार्ड हिन्दुत्व के एजेंडे को और बढ़ावा मिलेगा.
सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में हरियाणा चुनाव का फॉर्मूला यूपी उपचुनाव में भी लागू करने पर बात हुई है. इस चुनाव में संघ हरियाणा की तर्ज पर मतदाताओं को बढ़ाने की कवायद करेगा. मतदाताओं को कैसे ज्यादा से ज्यादा पार्टी के साथ जोड़ा जाए इसकी भी योजना बनाई गई है.
बीजेपी की जमीन मजबूत करेगा संघ
इसके साथ ही ये भी तय किया गया है कि संघ यूपी उपचुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर ज़मीन मजबूत करेंगा. नुक्कड़ सभाओं, छोटे समूह की बैठकों और बेहतर बूथ प्रबंधन के साथ-साथ डोर-टू-डोर अभियान चलाकर भाजपा के लिए माहौल बनाने का वैसा ही प्रयास करेगा जैसा हरियाणा चुनाव में किया गया था ताकि मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए भाजपा समर्थक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने का काम हो सके.
महत्वपूर्ण ये है कि बीते लोकसभा चुनाव में संघ पर ये बात आई थी की इसके स्वयंसेवक भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं सांसदों विधायकों की कार्यप्रणाली से खिन्न होकर घर बैठ गये थे जिसका नुकसान पार्टी को हुआ था. लेकिन अब संघ पूरी तरह से उपचुनाव में आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है.
यूपी उपचुनाव में दिखा कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्स का असर! ये सीट देने को तैयार हैं अखिलेश यादव?