मेरठ, एबीपी गंगा। मेरठ में कथित पलायन मामले को सियासी रंग देने की कोशिशों के बीच योगी सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। पलायन का ये मामला सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया, बात सरकार तक पहुंची। जिसके बाद सीएम योगी ने आदेश दिया है कि पालयन के मामले की जांच होगी। दरअसल, यहां पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय पर परेशान करने का आरोप लगाया। हालांकि, पुलिस प्रशासन ने पलायन जैसी बात से इनकार किया है। उन्होंने इसे आपसी विवाद करार दिया। मामला जांच के बाद सामने आ जाएगा, लेकिन ये जरूर है कि कैराना और शामली की तरह ही मेरठ के प्रहलाद नगर में भी कई मकानों और प्लाट्स पर लिखा है- ये घर बिकाऊ है।


मेरठ प्रशासन ने शासन को सौंपी जांच रिपोर्ट


मेरठ पलायन मामले में मेरठ प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें ये कहा गया है कि किसी भयवश या किसी समुदाय से परेशान होकर एक समुदाय विशेष का पलायन नहीं है, बल्कि अपनी बेहतरी के लिए स्थान का बदलाव भर मात्र है। हालांकि रिपोर्ट में ये बात भी कही गई है कि स्थानीय लोगों को दो मुद्दों पर परेशानी थी। एक सुरक्षा के लिए इलाके में गेट का होगा। इसके लिए गेट की स्थापना की जा रही है। दूसरा कुछ शरारती तत्वों द्वारा गाहे-बगाहे लड़कियों पर फबतियां कसने का था, इसके लिए पुलिस चौकी की स्थापना कर दी गई है।



इस पूरे प्रकरण पर एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि क्षेत्र के रहने वाले कुछ लोग अपनी स्वेच्छा से मकान बेच रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद मौके पर जाकर क्षेत्र के लोगों से बातचीत की। लेकिन, सभी ने किसी प्रकार के डर या भय के कारण मकान बेचने की बात से इनकार किया। क्षेत्र के रहने वाले कुछ पुराने लोग अब और अच्छे स्थानों पर बसना चाहते हैं। इसी कारण अपने मकान बेच रहे हैं। हालांकि एडीजी ने यह बात स्वीकार की है कि क्षेत्र के कुछ लोगों ने छेड़खानी, अतिक्रमण और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अकसर हंगामा किए जाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि इससे निपटने के लिए क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे और बैरियर लगवा दिए गए हैं। इसी के साथ सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ को क्षेत्र की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों से बातचीत के बाद किसी भी पक्ष ने भय से पलायन की बात स्वीकार नहीं की है।


जानें, प्रहलाद नगर के विवाद की असल वजह 


देश के बंटवारे के बाद जो लोग पाकिस्तान से यहां आए थे, उन्हें 1947 से 1950 के बीच रिफ्यूजी क्वॉर्टर दिए गए थे। जिसे आज की तारीख में प्रहलाद नगर के नाम से जाना जाता है। तीन तरफ से ये कॉलोनी अल्पसंख्यकों से घिरी हुई है। इस कॉलोनी के पीछे इस्लामाबाद मोहल्ला पड़ता है। दोनों मोहल्‍लों के बीच एक 4-5 फुट की एक गली है। कहा जा रहा है यही गली सारे विवाद की जड़ है। कॉलोनी के लोगों का आरोप है कि इस गली के जरिए समुदाय विशेष के कुछ असामाजिक तत्व उनके मोहल्ले में दाखिल होते हैं और महिलाओं के साथ सरेआम छेड़खानी करते हैं। जब विरोध करो, तो मारपीट पर उतर आते हैं। इसकी शिकायत भी पुलिस को की गई, लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती है।



विवाद बढ़ने के बाद एक्शन में अफसर


इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पुलिस प्रशासन भी एक्शन में नजर आ रहा है। एडीजी और कमिश्नर में कॉलोनी में जाकर पूरी लिस्ट तैयार की है। पता किया है कि आजादी के बाद अबतक यहां कितने परिवार रहते थे। मौजूदा वक्त में कितने परिवार रहते हैं। हाल ही में कितने परिवार अपना घर बेचकर चले गए हैं।




  • कॉलोनी में मंदिर और गुरुद्वारा समेत 15 धार्मिक स्थल हैं।

  • एक इंटर और दो प्राथमिक विद्यालय हैं।

  • कॉलोनी के लोग दोनों मोहल्ले को जोड़ती इस गली पर गेट लगाने की मांग कर रहे हैं, जबकि दूसरा समुदाय गेट का विरोध कर रहा है।

  • इस मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन ने सिटी मजिस्टेट व सीओ की एक संयुक्त कमिटी का गठन किया है, जो लोगों को अपना घर न बेचने के लिए समझा भी रही है।


 प्रहलाद नगर के मुद्दे पर BJP-SP के विधायक आमने सामने

मेरठ के प्रहलाद नगर में पलायन का मुद्दा अब राजनीतिक रूप ले चुका है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेता अब प्रहलाद नगर में पहुंचने लगे हैं। जहां एक और आज भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने मौके पर पहुंचकर क्षेत्र के लोगों से बात करने के बाद कहा कि यह सच है कि कुछ लोग आर्थिक कारण से मकान छोड़ रहे होंगे, लेकिन उन्होंने इस चीज को भी स्वीकार किया कि यहां भय और डर के कारण भी लोग मकान बेचकर जा रहे हैं। उन्होंने सीधा सीधा इसका कारण पुलिस प्रशासन की नाकामी बताते हुए कहा कि पुलिस की नाकामी की वजह से यहां से लोग मकान को बेचकर के जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों से बात करने पर पता चला कि यहां पर आए दिन छेड़खानी की घटनाएं और फायरिंग की कुछ घटनाएं भी हुई हैं, लेकिन पुलिस ने उनको गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण इस मुद्दे को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि वह पुलिस अधिकारियों से बात करके यहां की समस्याओं को निपटाने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों की मांग पर यहां गेट भी लगाया जाना चाहिए, यहां पर दोनों बस्तियों के बीच गेट लगवाने की बात भी वह अधिकारियों से करेंगे।


दूसरी और समाजवादी पार्टी के शहर विधायक रफीक अंसारी ने भी दूसरे समुदाय के लोगों से बातचीत की, जिसके बाद उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजेपी के लोग यहां पर लोगों के बीच में खाई पैदा करना चाहते हैं और इस कारण से उन्होंने यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा आरएसएस और बीजेपी के लोग ही इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं। गेट लगने की बात पर उन्होंने कहा कि यहां वह गेट नहीं लगने देंगे और ना ही यहां गेट किसी तरीके से लगाया जा सकता है।