CM Yogi Adityanath in Kanpur: सीएम योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में बीजेपी (BJP) की नैया पार कराने में जुटे हैं. पार्टी का खास फोकस उन सीटों पर है जिन सीटों पर पिछले चुनाव में हार मिली थी. लिहाजा योगी भी ऐसी सीटों पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसी सिलसिले में योगी आदित्यनाथ आज कानपुर आ रहे हैं. योगी यहां 500 करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर जनसभा को संबोधित करेंगे. इस जनसभा को खास इस लिए माना जा रहा है क्योंकि योगी इससे पार्टी के लिए चुनावी आगाज करने जा रहे हैं.
हारी सीटों के लिए बीजेपी का प्लान
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की दुखती रग बनी सीसामऊ, कैंट और आर्य नगर सीटों को ध्यान में रखकर जनसभा स्थल का चयन किया गया है. दरअसल साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को इन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. चुनावी तैयारियों में विपक्षी दलों से आगे रहने वाली बीजेपी ने इस बार भी अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है. संगठन के थिंक टैंक का मानना है कि अगर हिन्दू वोट एक एकजुट हो गया तो हारी हुईं तीनों सीटें इस बार बीजेपी के खाते में होगी.
आर्य नगर विधानसभा की बात करें तो ये विधानसभा कभी बीजेपी का गढ़ रही है. परिसीमन से पहले ये जनरलगंज विधानसभा थी जिसमें सबसे ज्यादा ब्राह्मण और बनिया वोटर हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता का नंबर आता है. सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद आर्य नगर विधानसभा में ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं का सपा के प्रति रुझान बढ़ा और बीजेपी के गढ़ में सपा ने जीत दर्ज की. दिग्गज बीजेपी नेता सलिल विश्नोई 5 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए थे. इस बार बीजेपी ने इस सीट पर ब्राह्मणों की नाराज़गी दूर करने के लिए पार्टी ब्राह्मण नेताओं में एक अरुण पाठक को सक्रिय किया है.
नए परिसीमन के बाद बनी कैंट विधानसभा में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता थे. करीब 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में बीजेपी की जीत यहां सबसे ज्यादा कठिन है. हालांकि 2012 के चुनावों में मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ, तो बीजेपी के रघुनंदन भदौरिया विधायक बन गए थे, लेकिन जब 2017 में सपा और कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में आई तो मुस्लिम वोटों के सहारे सोहेल अख़्तर अंसारी लगभग 9 हजार वोटों से रघुनंदन भदौरिया से जीत गए.
सीसामऊ में बड़ी लड़ाई
सबसे बड़ी लड़ाई सीसामऊ विधानसभा को लेकर है. यहां विधायक इरफ़ान सोलंकी को विधायकी विरासत में मिली है. तीन बार से इरफान खुद विधायक हैं जबकि इरफान से पहले इनके पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी आर्य नगर विधानसभा से विधायक रहे. उनकी मृत्यु के बाद खाली हुई सीट पर इरफ़ान सोलंकी विधायक हैं. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर सपा को कांग्रेस से गठबंधन का फायदा मिला और लगभग 5 हजार मतों के अंतर से इरफान ने भाजपा प्रत्याशी को हराया.
ये भी पढ़ें: