Gita Press: गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर सीएम योगी की प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
'गीता प्रेस' (Gita Press) को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' (Gandhi Peace Prize) दिए जाने पर सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा है कि ये धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा.
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UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने राज्य के गोरखपुर (Gorakhpur) स्थित 'गीता प्रेस' (Gita Press) को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' (Gandhi Peace Prize) प्रदान किये जाने पर बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, 'भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' प्राप्त होने पर हृदय से बधाई.'
सीएम योगी ने इसी ट्वीट में आगे कहा, 'स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा. इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार.' गौरतलब है कि रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को प्रदान करने का निर्णय लिया है. यह पुरस्कार सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से राजनीतिक परिवर्तन के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है.
दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक
गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में 1995 में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. इस पुरस्कार के तहत एक करोड़ रुपये की धनराशि, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की जाती है. वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है. इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं. इनमें से 16.21 करोड़ श्रीमद्भगवद्गीता की प्रतियां शामिल हैं.
संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘‘गांधी शांति पुरस्कार 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है.’’ मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो. मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है.
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