लखनऊ: कृषि क्षेत्र की आत्मनिर्भरता के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसान खुशहाल हों इसके लिए योजनाएं लागू किए गए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी हो, हर खेत को पानी, बीज और उर्वरक मिले, फसल सुरक्षा सुनिश्चित हो, उपज का अधिकतम मूल्य मिले, बड़ा बाजार मिले इन सभी पहलुओं पर सरकार ने कई प्रभावी और परिवर्तनकारी नीतियां, योजनायें और कार्यक्रम प्राथमिकता पर लागू किए हैं.


मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में छोटे और सीमान्त किसानों के 1 लाख रुपये तक ऋण माफ करने का निर्णय लिया. 36 हजार करोड़ रुपये के ऋण मोचन से प्रदेश के 86 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिला. प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाने के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत डेढ़ गुना एमएसपी बढ़ाकर 1935 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं की सरकारी खरीद की.


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार 487 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू की खरीद सुनिश्चित कराई. सरकार ने उत्तर प्रदेश किसान समृद्धि आयोग का गठन कर सालों पुरानी किसानों की मांग पूरी की. किसानों की बेहतरी के लिए जीरो बजट प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया. विभिन्न आपदाओं में फसलों के नुक़सान के लिए निर्धारित समयसीमा तय कर तुरंत लाभ पहुंचाने की व्यवस्था की. किसानों की उपज के लिए बाजार को व्यापक बनाते हुए देश में पहली बार मंडी अधिनियम संशोधन उत्तर प्रदेश में लागू हुआ. अब किसान अपनी फसलों को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं.


सीएम ने कहा कि देश में डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने की व्यवस्था सबसे पहले उत्तर प्रदेश में लागू हुई. किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि दी जा चुकी है. मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत किसान की मृत्यु होने पर आश्रितों को 5 लाख रुपये और 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता पर 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. इस योजना में 500 करोड़ की व्यवस्था की गई है.



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