UP Politics: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार (21 अगस्त) को कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे, जहां उन्होंने जनता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जो कहा उसे आगामी उपचुनाव और साल 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि उपचुनाव से पहले सीएम योगी एक बार फिर जातीय अस्मिता से हटकर हिन्दू एकता पर जोर दे रहे हैं. जानकारों का दावा है कि सीएम, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस की द्वारा जातीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने की रणनीति की काट ले आए हैं. आगामी चुनावों में इसी पर जोर रहेगा.


कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर मंच से बोलते हुए सीएम योगी ने हिंदू एकता की बात करते हुए कहा कि यह भारत की सुरक्षा की गारंटी है.  सीएम योगी ने कहा, आज जब हम लोग कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि को 'हिंदू गौरव दिवस' के रूप में मना रहे हैं तो हमें हिंदू एकता के महत्व को समझना पड़ेगा. हिंदू कोई जाति, मत और मजहब नहीं है. यह किसी संकीर्ण दायरे का माध्यम नहीं है. यह भारत की सुरक्षा की गारंटी है, ये भारत की एकता और एकाग्रता की गारंटी है.''


''हिंदू एकता को फिरके-फिरके में बांटने नहीं देना है''


सीएम योगी ने आगे कहा कि याद रखना जब तक भारत का मूल सनातन हिंदू समाज मजबूत है. भारत की एकता और अखंडता को दुनिया की कोई ताकत चुनौती नहीं दे सकती, लेकिन जिस दिन यह एकता खंडितहोगी उस दिन भारत को फिरके-फिरके में बांटने की विदेशी साजिशें सफल होती दिखाई देंगी. हमें इन साजिशों को सफल नहीं होने देना है. जो लोग आपको बांटने का काम कर रहे हैं, इनके चेहरे, चाल और चरित्र अलग हैं. ये बोलेंगे कुछ, दिखाएंगे कुछ और करेंगे कुछ. जब भी इन्हें अवसर मिला, उत्तर प्रदेश को इन्होंने दंगे की आग में झोंका है. जब भी इन्हें अवसर मिला है, इन्होंने हिंदुओं के नायकों को अपमानित किया है.


''हिंदू समाज को बंटने नहीं देना है''
सीएम योगी ने कहा कि याद करिए 30 अक्टूबर 1990 और 2 नवंबर 1990 में अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां चलाई गई थी और उस समय की सरकार एक तरफ हिंदू समाज को आपस में बांटने का कार्य कर रही थी तो दूसरी तरफ रामभक्तों पर गोलियां बरसा रही थी. तब अडिग चट्टान बनकर उनके सामने टकराने वाला व्यक्तित्व कल्याण सिंह थे. तब उन्होंने कहा था कि हम हिंदू समाज को बांटने नहीं देंगे.


मुख्यमंत्री ने कहा कि  ये जातीयता का जहरघोलने वाले भारत को तोड़ने का काम कर रहे हैं. 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 की तिथियां भारत के इतिहास में काले अध्याय के रूप में लिखी जाएगी, जब अयोध्या मेंनिर्ममतापूर्वक रामभक्तों का लहू बहाया गया था. तब भी कल्याण सिंह ने ही आवाज मुखर की थी. 6 दिसंबर 1992 को जब केंद्र सरकार का दबाव था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई जाए तब कल्याण सिंह ने कहा था कि केंद्र चाहे तो हमारी सरकार बर्खास्त कर दे, नहीं तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं, लेकिन रामभक्तों पर हरगिज गोलियां नहीं चलाई जाएंगी. उन्होंने मुख्यमंत्री पद ठुकरा कर संघर्ष का रास्ता चुना.


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