Noida Supertech Case: सुपरटेक प्रकरण (Supertech Case) में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के जजमेंट के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कड़ा रुख अपनाया है. सीएम योगी ने प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि तत्काल एक एसआईटी (SIT) गठित की जाए जो 2004 से लेकर 2017 तक नोएडा प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों की भूमिका की जांच कर अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश करे जिससे जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके. 
 
अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू
सुपरटेक बिल्डर के प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट के टावर 16 और 17 को गिराने का कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के निर्देश पर प्राधिकरण के अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है. नोएडा प्राधिकरण के प्लानिग मैनेजर मुकेश गोयल को सस्पेंड कर दिया गया है तो वहीं 2004 से लेकर 2017 तक तैनात प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका की जांच कर एसआईटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. रिपोर्ट के आधार पर उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी जिनकी संलिप्तता इस पूरे प्रोजेक्ट में रही है.  


इन अधिकारियों की थी तैनाती 
दरअसल, सबसे पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिरकार 2004 से लेकर 2017 के बीच किन अधिकारियों के सामने ये प्रोजेक्ट फला फूला. आपको बता दें कि 2005 में संजीव शरण नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे तब एमराल्ड कोर्ट का कार्य चल रहा था और बायर्स अपना आशियाना खरीद रहे थे. लेकिन, जैसे ही 2007 में चुनाव हुआ और बसपा की सरकार आई तो उसके बाद नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और चेयरमैन बनाए गए मोहिंदर सिंह और इनकी साथ तैयात थे DCO एनपी सिंह , ACEO सीबी सिंह और OSD यशपाल. उस वक्त भी प्लानिंग डिपार्टमेंट में मुकेश गोयल तैनात थे और इन्हीं अधिकारियों के सामने सुपरटेक ने 2009 में एमराल्ड कोर्ट के टावर 16 और 17 का निर्माण कार्य शुरू किया था.  


जारी रहा खेल 
प्राधिकरण के अधिकारियों का खेल यहीं खत्म नहीं हुआ. इसके बाद 2012 में जैसे ही समाजवादी पार्टी की सरकार प्रदेश में आई तो फिर संजीव शरण को नोएडा प्राधिकरण का CEO बनाया गया लेकिन कोर्ट की टिप्पणी के बाद उन्हें मजबूरन प्रदेश सरकार को हटाना पड़ा. इसके बाद नोएडा प्राधिकरण में सीईओ और चेयरमैन की जिम्मेदारी मिली रमारमण को और इन्हीं के कार्यकाल में OSD बने मनोज राय और ACEO और DCEO रहे राजेश कुमार सिंह और राजेश कुमार. लेकिन, इन सभी अधिकारियों ने भी इस पूरे प्रोजेक्ट पर अपनी आंख बंद रखी. यही वजह है कि जब एमराल्ड कोर्ट के बायर्स 2012 में हाईकोर्ट गए और  2014 में जब हाईकोर्ट का फैसला सुपरटेक और प्राधिकरण के खिलाफ आया तो प्राधिकरण ने ना तो अपने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की और ना ही सुपरटेक बिल्डर के इस प्रोजेक्ट को गिराया. बल्कि, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.  


एसआईटी की जांच में सामने आएगी सच्चाई
नोएडा प्राधिकरण के सूत्रों की मानें तो बसपा सरकार में नोएडा प्राधिकरण में तैनात CME के पद पर यादव सिंह की भूमिका भी संदिग्ध है. क्योंकि उनके इशारे पर कई बिल्डरों की फाइल पास और फेल होती थी. लेकिन, सच्चाई क्या है, किन-किन अधिकारियों की संलिप्तता इस पूरे प्रोजेक्ट में रही है ये तो एसआईटी की जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, जिस तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले को संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं उसको देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में सुपरटेक बिल्डर का साथ देने वाले नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी बच नहीं सकेंगे. इसका अंदाजा प्राधिकरण के प्लानिग मैनेजर मुकेश गोयल के सस्पेंशन से लगाया जा सकता है. 



ये भी पढ़ें: 


Ayodhya Ramlila: अयोध्या की रामलीला में नजर आएंगे बड़े सितारे, जानें- कौन निभाएगा रावण और हनुमान का किरदार


नोएडा में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक रेस्टोरेंट नहीं कर सकेंगे होम डिलीवरी, ये है वजह