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UP: स्कूली छात्रों के अभिभावकों के अकाउंट में 1100-1100 रुपये भेजेगी योगी सरकार, जानें क्या है योजना
सीएम योगी आदित्यनाथ आज प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों के अकाउंट में 1100-1100 रुपये भेजेंगे. योगी आज से इस योजना की शुरुआत करेंगे.
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यूपी (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Government) प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म और बैग खरीदने के लिए आज पैसा देगी. सरकार छात्रों के परिजनों के खाते में 1100-1100 रुपये ट्रांसफर करेगी. सीएम योगी आज इस योजना की शुरुआत करेंगे. इस योजना से प्रदेश के करीब 1 करोड़ 80 लाख छात्र-छात्राओं को लाभ होगा.
पैसा क्यों भेजेगी सरकार?
कक्षा 1-8 तक के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मिलने वाली सुविधाओं का पैसा उनके अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजा जाएगा. इसमें स्कूल बैग, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्वेटर खरीदने के लिए प्रत्येक छात्र-छात्रा के परिजनों के खाते में 1100-1100 रुपये भेजे जाएंगे. सीएम योगी आज शाम 5 बजे अपने सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग पर योजना का शुभारंभ करेंगे.
बता दें कि प्रदेश के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 1 करोड़ 80 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों को हर साल 2 जोड़ी यूनिफॉर्म, 1 स्कूल बैग, 1 स्वेटर, 1 जोड़ी जूते और 2 जोड़े मोजे दिए जाते हैं. जूते और मोजे, स्वेटर बांटने की शुरुआत योगी सरकार ने ही की थी. इसमें से 2 यूनिफॉर्म के लिए 600 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये और बैग व जूते मोजे के लिये प्रति छात्र करीब 250 से 300 रुपये का बजट रहता है. यानी एक बच्चे पर करीब 1100 रुपये का बजट सरकार खर्च करती है.
विवाद के बाद रुपये खाते में भेजने का फैसला
हर साल इन योजनाओं के लिए करीब 1800 से 1900 करोड़ का बजट खर्च होता है. योजना को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. कई बार छात्रों को मिलने वाले सामान की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं. ऐसे में सरकार ने छात्रों के अभिभावकों के खाते में रुपये भेजने का फैसला किया. इसके अलावा एक बड़ी समस्या बच्चों को गलत साइज के जूते मोजे, स्वेटर मिलने की थी अब वो भी खत्म होगी. इसके साथ ही हर साल इन सुविधाओं के लिए टेंडर की प्रक्रिया होती है जिसमें लेट-लतीफी से बच्चों को लाभ मिलने में देरी होती है. एक पहलू ये भी है कि इन सुविधाओं को बच्चों तक पहुंचने में विभागीय अधिकारियों से लेकर शिक्षक तक लग जाते हैं. अब जो समय शिक्षकों का इसमे जाता था वो पढ़ाने में लगेगा.
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