लखनऊ: देश और प्रदेश में लॉकडाउन लागू होते ही छोटे-बड़े सभी उद्योग तो करीब करीब बंद हो गए थे. श्रमिकों का पलायन होने लगा था. यह सब देखते हुए बीती 4 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए दूसरे प्रदेशों से यूपी लौट रहे मजदूरों और अन्य लोगों के लिए राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करने का निर्देश दिया था.


मुख्यमंत्री का यह निर्देश मिलने के बाद एक कार्ययोजना तैयार की गई. इस कार्ययोजना पर अमल करते हुए आठ महीनों में आत्मनिर्भर पैकेज के जरिये 6,65,740 नई इकाइयों में 26,62,960 लोगों को रोजगार मुहैया कराया गया. इसके अलावा मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनाए गए सेवायोजन पोर्टल के जरिये भी 5,25,978 लोगों को रोजगार मिला और यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अन्य राज्यों से आए श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लगातार किए गए प्रयासों से संभव हो सका है.


गेम चेंजर साबित हुई ओडीओपी योजना


लॉकडाउन होने पर जब लाखों गरीब-मजदूर रोजगार विहीन हो गए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चाधिकारियों के साथ होने वाली अपनी हर बैठक में रोजगार विहीन हो गए श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने पर मंथन किया. उनके ऐसे प्रयासों से ही लाखों श्रमिकों को एमएसएमई सेक्टर में सर्वाधिक रोजगार मिला. अब उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रयास की देशभर में सराहना हो रही है. यह कहा जा रहा है कि योगी सरकार ने छोटे उद्योगों से रोजगार देने का बड़ा लक्ष्य साधा है और योगी सरकार के इस माडल को देश के अन्य राज्यों में लागू किया जाना चाहिए. सूबे में श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के मामले में योगी सरकार की 'एक जनपद एक उत्पाद योजना' (ओडीओपी) गेम चेंजर साबित हुई है. राज्य के हर जिले में आत्मनिर्भर पैकेज के जरिये लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के लिए मदद मिली. एमएसएमई विभाग की ओडीओपी योजना में लोगों को रोजगार मिला.


सेवायोजन पोर्टल से मिला रोजगार


एमएसएमई विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते आठ महीनों में प्रदेश में 6,65,740 नई इकाइयां शुरू हुईं, जिसमें कुल 26,62,960 लोगों को रोजगार मिला है. इन आंकड़ों में 2,57,348 श्रमिक ऐसे हैं जिन्हें पहले से चल रही इकाइयों में ही रोजगार मिल है. सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से ही यह संभव हुआ है. यहीं नहीं कोरोना काल के दौरान योगी सरकार ने आत्‍म निर्भर पैकेज के अंतर्गत 4,24,283 पुरानी इकाइयों को 1092 करोड़ रुपये का लोन देकर जहां पुराने रोजगार बचाये रखा. इसके अलावा लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री ने सेवायोजन पोर्टल भी शुरू कराया. इस पोर्टल के जरिये भी बीती 13 दिसंबर तक 5,25,978 लोगों को रोजगार मिला है.


मात्र आठ महीने में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराना कोई आसान कार्य नहीं है. आज, आठ महीने पहले के माहौल को याद करें तो पाएंगे कि लॉकडाउन लागू होते ही भारी उद्योग तो बंद हो गए थे और इनके मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था. ऐसे में माहौल में मुख्यमंत्री के निर्देश पर लघु मध्यम और सूक्ष्म उद्योग संचालकों से बात की गई. सरकार ने इन उद्योगों के लिए कच्चा माल की व्यवस्था की. मजदूरों को इन्हीं छोटे उद्योगों में रुकने का इंतजाम किया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि लॉकडाउन का दूसरा फेज आते-आते प्रदेश में लघु उद्योगों की करीब चार हजार यूनिट चालू हो गईं.


रोजगार देने में टॉप 5 में यूपी


लॉकडाउन के तीसरे फेज में लघु उद्योगों को और विस्तार देने की योजना तैयार की गई. फिर इस योजना पर अमल करते हुए प्रदेश में बंद पड़े लगभग ढाई लाख सूक्ष्म एवं कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवन देने का कार्य किया गया. इसके साथ ही दूसरे राज्यों से लौटे लगभग 40 लाख प्रवासी श्रमिकों का स्किल मैपिंग अभियान चलाया गया. फिर इन श्रमिकों में से 1,14,466 प्रवासी श्रमिकों को रियल एस्टेट में रोजगार मुहैया कराया गया. एक लाख से अधिक श्रमिकों को छोटे जिलों में ही मिला काम दिलाया गया है. प्रदेश सरकार के लाखों गरीब-मजदूर और श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के प्रयास को रिजर्व बैंक ने भी सराहा है. आरबीआई के अनुसार एमएसएमई के माध्यम से रोजगार देने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश देश के टॉप 5 राज्यों में शामिल है.


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