लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 12वीं पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद करते हुए कहा कि चंद्रशेखर और राष्ट्रवाद एक दूसरे के पूरक थे। दरअसल लखनऊ में चंद्रशेखर ट्रस्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 12वीम पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था और इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा की चंद्रशेखर जी समाजवाद की आखिरी कड़ी थे। क्योंकि आज बाजार में समाजवाद के नाम पर बहुत से ब्रांड मौजूद हैं, जो समाजवाद की आड़ में परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।


कार्यक्रम राजधानी के विश्वसरैया ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ साथ यूपी विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और रमापति शास्त्री भी मौजूद रहे। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रवाद कोई नया शब्द नहीं है, राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव ही राष्ट्रवाद है, और चंद्रशेखर जी और राष्ट्रवाद एक दूसरे के पूरक थे, किसी व्यक्ति की विचारधारा किसी से भिन्न हो सकती है लेकिन जब राष्ट्र की बात आएगी तो इसे छोड़ना पड़ेगा।


मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि चंद्रशेखर जी लोहिया और जय प्रकाश नारायण के समाजवाद की आखिरी कड़ी थे, क्योंकि आज मार्केट में समाजवाद के कई ब्रांड मौजूद हैं, कोई समाजवाद के नाम पर परिवारवाद कर रहा है। समाजवाद के नाम पर लोग सत्ता में तो आये लेकिन किसी के लिए कुछ किया नहीं केवल अपना भला किया। रोटी, कपड़ा और मकान की तो लोगों ने खूब बातें की लेकिन इसे सही तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लागू किया। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि चंद्रशेखर जी ऐसे नेता थे जो गलत बात का खुलकर विरोध करते थे। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था।


इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रेशेखर को याद करते हुए योगी आदित्यानाथ ने अपने गुरू से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया। सीएम ने कहा कि जब राम मंदिर आंदोलन जोर पर था तब उनके पूज्य गुरूजी इस आंदोलन में संक्रिय थे उस दौरान चंद्रेशेखर ने मंदिर को लेकर को बयान दे दिया था जिस पर मीडिया ने जब इसे लेकर उनके गुरूजी से सवाल किया तो गुरू ने कहा कि चंद्रशेखर एक नास्तिक हैं और तभी इस तरह की बात कह रहे हैं। इस पर चंद्रशेखर ने फिर बाद में उनके गुरू को अपने आश्रम में बुलाया था और आश्रम में बना मंदिर भी दिखाया था और कहा था कि वो नास्तिक नहीं हैं बल्कि धर्म के प्रति झूठे आडंबर में उन्हें विश्वास नहीं है।