पुराने तेवर में दिखे सीएम योगी, विपक्ष के आरोपों का मुख्यमंत्री ने दिया जोरदार जवाब
यूपी विधानसभा का संक्षिप्त मॉनसून सत्र शनिवार को जबरदस्त हंगामे के साथ अनिश्चित काल के स्थगित कर दिया गया. विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक पारित किये गये. वहीं, सीएम योगी विपक्ष पर जमकर बरसे.
लखनऊ. कोरोना वायरस के संकट के बीच शुरू हुआ उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शनिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. सत्र के अंतिम दिन विपक्ष के हंगामे के बीच 17 विधेयक पास हुए. इन विधेयकों में उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी सम्पत्ति क्षति वसूली विधेयक 2020 भी शामिल है. हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार इस बिल के जरिए ही उपद्रवियों से वसूली की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए कदम उठा रही है. वहीं हंगामे के जवाब में सीएम योगी ने सदन में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा.
विपक्ष पर जमकर बरसे योगी सीएम योगी ने यूपी में चल रही ब्राह्मण सियासत पर विपक्ष को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि फिर से समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. बिना नाम लिए समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा ये वही लोग हैं, जिन्होंने राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं. जो लोग आज जातिवाद का नारा लगा रहे हैं, जब सत्ता में आते हैं तो कन्नौज के नीरज मिश्रा नाम के बीजेपी के कार्यकर्ता का सिर काटकर घुमाते हैं और उस शर्मनाक घटना के बाद भी जनता से माफी नहीं मांगते हैं. ये वही लोग हैं जो तिलक और तराजू की बात कर इस समाज को बार-बार गाली देते थे. सीएम ने कहा राम और परशुराम में तात्विक रूप से कोई भेद नहीं है. दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं. राम का नाम ऐसा की चाहे राम के नाम पर लें, परशुराम के नाम पर लें या मरा-मरा के नाम पर लें कल्याणकारी है.
संजय सिंह को बताया दिल्ली से आया नमूना
आज सदन में विपक्ष ने गले मे तख्तियां टांगकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी. इस पर सीएम ने कहा इन लोगों को देख ऐसा लगता जैसे मेरठ में कोई अपराधी गले मे तख्ती टांगे आया हो. सपा ने प्रदर्शन के दौरान आजम खान को रिहा करने की मांग उठाई तो कांग्रेस ने डॉ. कफील खान को. इस पर भी सीएम ने निशाना साधा. सीएम ने कहा विपक्ष 'खानों' के समर्थन में है. सपा एक 'खान' को रिहा करने के लिए कहती तो कांग्रेस दूसरे के लिए. सीएम ने बिना नाम लिए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद को दिल्ली से आया नमूना बताया. साथ ही दिल्ली और यूपी में कोरोना के आंकड़ों पर बात की. कहा, यहां हालात बहुत बेहतर. मुख्यमंत्री ने अपराध को लेकर भी आंकड़े बताए.
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि नियम 56 में कांग्रेस ने कानून व्यवस्था और अपराध पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था. प्रदेश में जंगलराज कायम है. सरकार सदन के बाहर और अंदर विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है. नियम 311 में हमने कोरोना की रोकथाम के लिए चर्चा चाही थी. सरकार ने अलोकतांत्रिक परंपरा अपनायी है, ये विधानसभा के इतिहास में काला दिन. 60 से अधिक विधेयक को समाप्त किया, 17 विधेयक बिना चर्चा पास हुए. कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने सदन में दिए मुख्यमंत्री के बयान पर निशाना साधा. उन्होंने कहा मठ और सदन में अंतर होता है. मुख्यमंत्री को पुरानी बातों का अध्ययन कर बोलना चाहिए. खान थे या पठान थे याद कर लें. इसी विधान परिषद के एक सदस्य जो पठान थे, की जमीन के मामले में भाजपा सदस्य खड़े हुए थे.
सपा,बसपा ने बोला हमला सदन के बाद सपा विधायक नरेंद्र वर्मा ने कहा कि सदन में चर्चा का अवसर नहीं मिला इसलिए वेल में जाना पड़ा. प्रदेश में अपराध चरम पर, कोरोना मरीजों को दवा, इलाज नहीं मिल रहा है. लखनऊ में पुलिस ने निर्दोष ब्राह्मण की हत्या की, गाज़ियाबाद में ब्राह्मण पत्रकार की हत्या हुई. भाजपा विधायक थानों में बैठाए जा रहे, पिट रहे. वहीं, बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने सभी विधेयक बिना चर्चा पास कराये, इसीलिए, हमने सदन का बहिर्गमन किया है.
प्रदेश में हत्या, अपहरण, बलात्कार सब बढ़ा. दलितों के साथ बलात्कार, पिछड़ों, ब्राह्मण के साथ अत्याचार हो रहा है. हम सदन में चर्चा चाहते थे नहीं हुई. विधेयक का समय शून्य प्रहर के बाद होता है. लखनऊ में तीन सामूहिक हत्या, खीरी में बच्ची से बलात्कार कर हत्या, आज़मगढ़ में प्रधान के साथ घटना। आगरा में बस का अपहरण हुआ, ये गिरती कानून व्यवस्था का उदाहरण है. NCRB के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अपराध बढ़े हैं. सरकार का पक्षपातपूर्ण रवैया इसके लिए जिम्मेदार है.
अपराधी सिर्फ अपराधी होता चाहे किसी पार्टी से संबंधित हो. बड़े पैमाने पर बाढ़ आयी हुई है. लोगों को, मवेशियों को खाने के लिए मुश्किलें, राहत कार्य सही नहीं हो रहे हैं. कोविड-19 का समय चल रहा लेकिन सरकार प्रबंधन में फेल है. जाति विशेष के साथ अन्याय हो रहा है. ब्राह्मणों का मुद्दा भी उठाया. वर्मा ने कहा कि बहनजी के शासनकाल में कोई अपराधी हो, कार्रवाई होती थी. बहन जी की सरकार में देश में सिर्फ नागालैंड ऐसा प्रान्त था जहां यूपी से काम अपराध था बाकी सब जगह यूपी से अधिक अपराध था.
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