Faizabad Station New Name: पिछले काफी दिनों से नाम परिवर्तन से गुजर रहे फैजाबाद जंक्शन पर अब पुराने साइनबोर्ड को पेंट कर दिया गया है. और स्टेशन के मुख्य भवन के बीच लगे पहचान सूचक बोर्ड को हटाकर उसकी जगह पर नये नाम ‘अयोध्या कैंट’ का बोर्ड भी लटका दिया गया है.
लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली
फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या करने के तीन साल बाद प्रशासन द्वारा हाल में 19वीं सदी के इस स्टेशन का भी नाम बदलने के कदम पर इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया रही है. कई का मानना है कि इससे ‘इस ऐतिहासिक शहर की पहचान मिट’ जाएगी और ‘भ्रम पैदा’ होगा.
एक अन्य वर्ग ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले का ये कहते हुए स्वागत किया कि सार्वजनिक स्थानों पर सर्वत्र अयोध्या नाम इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि ‘यह भगवान राम की नगरी है.’ आम तौर पर इस ऐतिहासिक स्टेशन भवन के सामने अपना रिक्शा खड़ा करने वाले 55 वर्षीय साधुराम ने कहा, ‘‘ नाम बदलना जरूरी नहीं था. पहले से ही अयोध्या स्टेशन है. यात्री अब भ्रमित हो जाएंगे. ’’
नाम बदलने से लोगों में पैदा होगा भ्रम
फैजाबाद जंक्शन पर 2008 से कुली के तौर पर काम कर रहा राजेश कुमार ने कहा, ‘‘ इससे बड़ा भ्रम पैदा होगा क्योंकि यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर पर पहले से ही अयोध्या सिटी स्टेशन है. फैजाबाद या अयोध्या पहली बार आने वाले यात्री गलत स्टेशन पर उतर सकते हैं.’’
आपको बता दें कि फैजाबाद सिटी, अयोध्या जिले में अपने नाम वाले शहर अयोध्या से करीब सात किलोमीटर दूर है तथा फैजाबाद एक मुख्य रेलवे स्टेशन है जो उत्तर रेलवे एवं लखनऊ-वाराणसी खंड में आता है. अयोध्या शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है.
फैजाबाद स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट करने के प्रशासन के आदेश पर इस स्टेशन के भवन के शिखर पर लगा साइनबोर्ड हाल में हटाया गया. दिवाली के दिन पुराने साइनबोर्ड भी रंग दिये गये और ‘फैजाबाद जंक्शन’ (स्टेशन कोड एफ डी) को बदलकर ‘अयोध्या कैंट’ (स्टेशन कोड ए वाई सी) कर दिया गया है.
प्रशासन ने स्टेशन परिसर की दीवारों पर पोस्टर लगा दिया है. एक ऐसा ही पोस्टर पूछताछ काउंटर पर है जिस पर लिखा है ‘ आम लोगों को एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि आज दो नवंबर , 2021 से फैजाबाद जंक्शन स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट कर दिया गया है.’’
हिंदूओं की भावनाओं से खेला जा रहा है - विपक्ष
वहीं विपक्ष ने इस फैसले को राजनीतिक फायदे के लिए हिंदू जनभावनाओं के साथ खेलने की कोशिश करार दिया है.लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये कहते हुए नाम परिवर्तन को सही ठहराया कि ये ‘इस स्थान की समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण्ण रखने ’ की कोशिश का हिस्सा है.
ये ‘गंदी राजनीति’ का परिणाम है – मंजूर मेहंदी
फैजाबाद के इतिहासकार और ‘आप की ताकत’ पत्रिका के संपादक मंजूर मेहंदी इस नाम परिवर्तन से मायूस हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ये ‘गंदी राजनीति’ का परिणाम है तथा ‘फैजाबाद की पहचान को मिटाने की कोशिश’ है. उन्होंने कहा कि चौक और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कई दुकानों एवं प्रतिष्ठानों ने अब भी बोर्ड पर पुराना नाम ‘फैजाबाद’ को बनाये रखा है या नये एवं पुराने शहर का बताने वाला ‘फैजाबाद अयोध्या’ बोर्ड लगाया है.
उन्होंने कहा, ‘‘ फैजाबाद, अवध के नवाब की पहली राजधानी थी, उसने वैभवशाली दौर, समृद्ध वास्तुकला एवं साहित्यिक धरोहर देखी है. मैं पावनस्थल के रूप में अयोध्या का सम्मान करता हूं लेकिन मेरे फैजाबाद की अपनी पहचान है. मैं जब तक जीवित हूं तब तक मेरे कार्यालय के बोर्ड से फैजाबाद न मिटाया जाएगा और न ही बदला जाएगा. ’’
भाजपा सरकार ने 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था. मेहदी को आशंका है कि इस्लामिक नाम वाले और शहरों के नाम भी बदले जा सकते हैं. दिल्ली की इतिहासकार एवं लेखक राणा सफवी ने कहा कि अयोध्या एवं फैजाबाद हमेशा जुड़वा शहर के रूप जाने जाते हैं एवं ‘‘गंगा-जमुनी तहजीब’ के प्रतीक’ हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि अयोध्या फैजाबाद का पुराना नाम है. ये दो भिन्न संस्कृतियों वाले दो अलग शहर हैं और सदियों से साथ साथ हैं. अब वो नहीं चाहते हैं कि दोनों साथ-साथ रहें. वो किसी स्थान या स्टेशन का नाम बदल सकते हैं लेकिन मैं महसूस करती हूं कि फैजाबाद ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है. ’’
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