Prayagraj News: दिल्ली के राजेंद्र नगर की तरह संगम नगरी प्रयागराज में भी कई कोचिंग संस्थान बेसमेंट में चल रहे हैं. नियमों और मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए छात्रों की जिंदगी और उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदार अफसर सब कुछ जानते हुए भी इस तरफ से आंख बंद किए हुए हैं.
प्रयागराज को उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में शिक्षा के बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है. यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से हर साल लाखों छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं. यहां तीन हजार से ज्यादा कोचिंग संस्थान चल रहे हैं. हालांकि इनमें से डीआईओएस यानी जिला विद्यालय निरीक्षक के दफ्तर में सिर्फ 185 कोचिंग के ही रजिस्ट्रेशन है. बाकी सब अवैध तरीके से चल रहे हैं. हालांकि जिन कोचिंग संस्थानों के रजिस्ट्रेशन हैं वहां भी छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए मानकों की अनदेखी की गई है.
बेसमेंट में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटर
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास स्थित प्रयागराज के कर्नलगंज इलाके को कोचिंग सेंटर्स का हब कहा जाता है. यहां एक-एक बिल्डिंग में कई-कई कोचिंग चलती है. स्वराज भवन के सामने की बिल्डिंग में आईएएस और पीसीएस की तैयारी कराने वाली साकेत कोचिंग चलती है. इस कोचिंग के कई क्लासरूम बेसमेंट में ही है. कोचिंग का दफ्तर भी बेसमेंट में ही है.
बेसमेंट में चलने वाले क्लासरूम सड़क से तकरीबन दस फिट नीचे हैं. छात्रों के मुताबिक दिल्ली की घटना के बाद उन्हें भी काफी डर लग रहा है. यहां कोचिंग संस्थान मोटी फीस तो ले लेते हैं, लेकिन स्टूडेंटस की सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है. हालांकि साकेत कोचिंग के संचालक जीसी पांडेय ने बचाव में तमाम दलीलें पेश की.
कोचिंग संचालकों के भी हैं अपने दावे
साकेत कोचिंग के बगल की बिल्डिंग में भी दो कोचिंग संस्थान बेसमेंट में चल रहे हैं. बगल की बिल्डिंग के बेसमेंट में टेंसर एकेडमी और प्रगति कोचिंग की क्लासेज चलती है. हालांकि इन दोनों के क्लासरूम ऊपर की मंजिल पर भी हैं, लेकिन ऑफिस और कुछ क्लासरूम बेसमेंट में भी बना रखे हैं. इस बिल्डिंग का बेसमेंट भी सड़क से तकरीबन 10 फीट नीचे है. इसी तरह से कई अन्य जगहों पर भी कोचिंग संचालक बेसमेंट में क्लास चलाते हैं.
हालांकि कोचिंग संचालकों के अपने अलग दावे हैं. कोचिंग संचालकों का कहना है कि बेसमेंट की व्यवस्था अस्थाई है. कभी स्पेशल क्लास चलाई जाती है तो कभी ऑनलाइन क्लास. इसके अलावा एक दलील यह भी दी गई कि कोचिंग सिर्फ डे लाइट यानी दिन के वक्त ही चलती हैं. रात के वक्त नहीं कि दिल्ली जैसा हादसा हो जाए.