सहारनपुर: लॉकडाउन ने किया हास्य कलाकार का बुरा हाल, घर चलाने के लिए बेच रहे खाना
कभी सहारनपुर की शान कहलाने वाले प्रदीप इन दिनों खाना बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.
![सहारनपुर: लॉकडाउन ने किया हास्य कलाकार का बुरा हाल, घर चलाने के लिए बेच रहे खाना Comedian Pradeep Pagal selling food for livelihood in Saharanpur ANN सहारनपुर: लॉकडाउन ने किया हास्य कलाकार का बुरा हाल, घर चलाने के लिए बेच रहे खाना](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/10/05135050/Saharanpur1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सहारनपुर. पहले अर्थव्यवस्था में मंदी और फिर लॉकडाउन ने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी है. लॉकडाउन ने हजारों-लाखों लोगों से उनका रोजगार छीन लिया है. कई लोगों का तो अपना घर चलाना तक मुश्किल हो रहा है. सहारनपुर के हास्य कलाकार प्रदीप पागल इन दिनों मुफलिसी की मार झेल रहे हैं. कभी सहारनपुर की शान कहलाने वाले प्रदीप इन दिनों खाना बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. कभी पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम का अपनी प्रस्तुतियों से दिल जीतने वाले प्रदीप की जिंदगी पूरी तरह बदल गयी है.
प्रदीप पागल ने जीता था कलाम साहब का दिल
साल 1985 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले प्रदीप हास्य के मंचों पर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी काम कर चुके हैं. हास्य के अलावा उन्हें मिमिक्री करने का भी बड़ा शौक था. प्रदीप ने राष्ट्रपति भवन के अंदर जाकर भी उस समय के राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सामने भी अपना कार्यक्रम पेश किया था. कलाम साहब प्रदीप पागल के कार्यक्रम से काफी प्रभावित हुए थे और उन्होंने पूछा था कि तुम्हें पागल आखिर क्यों कहते हैं. प्रदीप पागल ने हंसते हुए कलाम साहब को पागल कहने का पूरा रहस्य बताया था. प्रदीप ने बताया था कि एक बार मां चिंतपूर्णी के दरबार में वह अपना कार्यक्रम पेश कर रहे थे जहां पर उन्हें पागल की उपाधि दी गई थी. तभी से उनका नाम प्रदीप पागल पड़ गया था.
लॉकडाउन ने छीना काम सहारनपुर के ही रहने वाले प्रदीप के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है. दोनों बेटों की शादी हो चुकी है और बेटी की शादी अभी होनी बाकी है. प्रदीप पागल उन दिनों को याद करते हुए थोड़े भावुक होते हैं और बताते हैं कि वह समय बहुत अच्छा था. काफी कार्यक्रम आते थे. परिवार का गुजारा बहुत अच्छे से होता था, लेकिन उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान भी अभी हार नहीं मानी है और अपनी एक छोटी सी चाय की दुकान किराए पर खोली है जहां पर वह चाय बनाते हैं और खाने-पीने का सामान बेचते है.
प्रदीप को रोजाना यहां से ₹400 से लेकर ₹500 तक की आमदनी होती है जिससे अपना परिवार का पेट पाल रहे हैं. प्रदीप पागल सभी को अपना मैसेज देते हैं कि किसी भी कलाकार को घबराने की जरूरत नहीं है. समय जरूर बदलेगा, अच्छा समय ज्यादा दिन नहीं रहा तो बुरा समय भी ज्यादा दिन नहीं रहेगा.
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