गाजियाबाद: गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है, लेकिन आंदोलन के चलते होने वाली समस्या भी बहुत जटिल है. दिल्ली पुलिस ने जबसे बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया है, उससे आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.


जान जोखिम में डालकर कच्चे रास्तों से निकलने की मजबूरी


गाज़ीपुर बॉर्डर पर आंदोलन का 82वां दिन है. एक तरफ दिल्ली पुलिस ने कटीले तार लगा रखे हैं और बैरिकेटिंग है, जिससे यातायात रोक दिया गया था, लेकिन साइड में ही एक रास्ता है, उसे भी तार लगाकर बंद कर रखा था. इस रास्ते के जरिये जनता दिल्ली में जाती थी, अब उनका संचालन बिल्कुल बंद है. लेकिन दो पहिया वाहन चालक, पैदल और साइकिल वाले इस कच्चे रास्ते से जान जोखिम में डालकर जा रहे हैं. एबीपी गंगा ने जनता से बात की. दो पहिया वाहन चालकों ने बताया ऑफिस पहुंचने में देरी होती है, बहुत ही समस्या है, रास्ते बंद होने से इस रास्ते के आगे खाई भी है. जिन रास्ते पर यह जा रहे है, वहीं, इन्होंने निकलने का रास्ता बना लिया है.


एबीपी गंगा ने की लोगों से बात


जिस तरफ यह वाहन गाज़ीपुर बॉर्डर की साइड जंगल के रास्ते से यह जा रहे थे, एबीपी गंगा की टीम भी उसी रास्ते पर पहुंची. वहां का नज़ारा जोखिम भरा था. धूल, मिट्टी और इस कच्चे रास्ते से वाहन जा रहे थे और आगे जाकर गहरी खाई के पास एक रास्ता था. जहां से यह वाहन, पैदल यात्री निकल रहे थे. यह वही खाई है, जिसे दिल्ली पुलिस ने खोदा था, जिससे किसान इस तरफ से ना जा सके. लेकिन आम जनता व राहगीर जिन्हें दिल्ली जाना था, अपने ऑफिस पहुंचना था कामकाज पर निकलना था, अब वह खतरा मोल लेकर गुजर रहे हैं. कुछ लोगों से बात करने पर, उन्होंने बताया कि हमें बहुत परेशानी उठानी पड़ती है, एक तरफ किसानों का आंदोलन चल रहा है, हम परेशान हैं, लेकिन क्या करे?


वहीं, एक तरफ आंदोलन चल रहा है, एनएच 9 बंद है. गाज़ीपुर बॉर्डर बंद है. ऐसे में परेशानी का कोई हल नहीं निकल रहा है. इधर दिल्ली पुलिस अपनी व्यवस्था देख रही है, दूसरी तरफ किसान अपनी मांग पर बैठे हैं, ऐसे में परेशान आम जनता है.


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