प्रयागराज: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज संगम नगरी प्रयागराज के बसवार गांव में पुलिस ज्यादती का शिकार हुए निषाद समुदाय के पीड़ितों से मुलाकात कर उनके जख्मों पर सियासी मलहम लगाने की कोशिश की. इस मौके पर उन्होंने पीड़ित निषादों से हमदर्दी जताई और उनकी लड़ाई में हर तरह से साथ निभाने का वायदा किया तो, साथ ही जमकर सियासी तीर भी चलाएं. उन्होंने केंद्र और यूपी की सरकारों पर जमकर हमला बोला और कहा कि सरकार गरीब निषादों व आम आदमी के साथ नहीं है बल्कि उद्योगपतियों व माफियाओं के साथ खड़ी है.


प्रियंका गांधी को मिलेगा सियासी फायदा!


प्रियंका गांधी के इस दौरे के कई सियासी मायने भी हैं, हालांकि आज के इस दौरे से निषाद समुदाय प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी के साथ कितना खड़ा हो जाएगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस बसवार गांव में प्रियंका ने निषाद वोटरों को रिझाने की कोशिश की, उनके बीच तमाम वायदे किए, उसी गांव के निषाद वोटर प्रियंका गांधी पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. यहां के निषादों का कहना है कि नेताओं का काम है आना - हमदर्दी जताना और बड़े-बड़े वायदे करके वापस चले जाना. इसलिए वह सिर्फ आधे घंटे की चौपाल से ही प्रियंका गांधी वाड्रा पर भरोसा नहीं कर सकते हैं और ना ही अगले चुनाव में प्रियंका गांधी व उनकी कांग्रेस पार्टी को वोट देने का फिलहाल मन बना सके हैं.


क्या कहना है निषाद समुदाय का


बसवार गांव के निषादों का कहना है कि, प्रियंका गांधी के आने से उन्हें क्या फायदा हुआ है या आने वाले दिनों में होगा, इसका फैसला वक्त करेगा. अगर प्रियंका की वजह से उन्हें आने वाले दिनों में कोई फायदा होगा तभी वह उन्हें असली नेता मानेंगे और यह समझेंगे कि वह सियासी रोटियां सेकने नहीं बल्कि सही मायने में उनसे हमदर्दी जताने के लिए आई थी. इसके बाद ही वह अगले साल विधानसभा चुनाव में वोट देने के लिए कोई फैसला करेंगे.


कुछ भी कहना जल्दबाजी


बसवार गांव के निषाद वोटरों का कहना है कि फिलहाल अभी वह यह तय नहीं कर पाए हैं कि चुनाव में उन्हें किस पार्टी को वोट करना है. गांव के वोटरों का कहना है कि, प्रियंका के आने भर से वह कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं करेंगे और इस बारे में चुनाव के वक्त ही कोई फैसला करेंगे.


बसवार गांव के निषाद वोटरों के इस रूख से यह कहा जा सकता है कि प्रियंका ने अपने प्रयागराज दौरे से निषाद वोटरों को रिझाने और सरकार पर हमला बोलने की सियासी कोशिश जरूर की है लेकिन उनकी यह कोशिश विधानसभा चुनाव में मझधार में फंसी कांग्रेस की नैया को किस तरह से पार लगा पाएगी फिलहाल यह कहना मुश्किल होगा.


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