लखनऊ: मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अब विधान परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गई है. बीएसपी के मुताबिक, दल-बदल कानून के तहत नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 22 फरवरी 2018 से अयोग्य घोषित किया गया है. उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीएसपी ने दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को याचिका दी थी.


बीएसपी के महासचिव सतीश मिश्रा का बयान


बीएसपी के महासचिव सतीश मिश्रा द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, 'नसीमुद्दीन सिद्दीकी 23 जनवरी 2015 को बहुजन समाज पार्टी की ओर से विधान परिषद सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे. उन्होंने 22 फरवरी, 2018 को कांग्रेस की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इसके बाद विधान परिषद में बीएसपी के नेता ने दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता नियमावली, 1987 के अन्तर्गत नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 22 फरवरी 2018 से विधान परिषद की सदस्यता से निरर्ह (अयोग्य) घोषित किए जाने हेतु याचिका प्रस्तुत की थी.' उन्होंने अपने बयान में ये भी कहा कि लंबी सुनवाई के बाद विधान परिषद के सभापति ने मंगलवार को अपना निर्णय दिया और 22 फरवरी 2018 से सिद्दीकी को विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया.


कभी मायावती के करीबी थे सिद्दीकी


नसीमुद्दीन सिद्दीकी कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बेहद करीबी रहे थे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मायावती ने उनपर पैसों के लेनदेन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था. मायावती ने आरोप लगाया था कि पश्चिमी यूपी के प्रभारी रहते हुए सिद्दीकी ने उम्मीदवारों से पैसे लिए थे, लेकिन उन पैसों के पार्टी के फंड में जमा नहीं किया गया.


कौन हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी?




  • उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के सेवरा गांव के रहने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी एक समय में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बेहद करीबी और भरोसेमंद लोगों में शामिल थे.

  • सिद्दीकी साल 1988 से यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं.

  • पहली बार वो 1991 में विधायक चुने गए थे.

  • 1995 में जब मायावती पहली बार यूपी की सीएम बनी, तो सिद्दीकी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.

  • 13 मई साल 2007 से सात मार्च 2012 तक मायावती की सरकार में वो मंत्री रहे.

  • बीएसपी में उनकी पहचान सबसे बड़े मुस्लिम नेता के रूप में थी.

  • वो बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं.

  • 2017 में मायावती ने ही उनपर पैसों के लेनदेन में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए पार्टी से निकाल दिया.


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