Lok Sabha Elections 2024: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को लेकर फिर से कवायद शुरू हो गई है. क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा अपने-अपने नेताओं का नाम नेतृत्वकर्ता के तौर पर उछाले जाने के बीच कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी (Pramod Tiwari) ने कहा है कि यह वक्त का तकाजा है कि बीजेपी (BJP) को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट हो जाना चाहिए. नेतृत्व या फिर पीएम का चेहरा कोई मायने नहीं रखेगा. अगर विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर देता है तो बाद में यह सब तय हो जाएगा. यह कोई बड़ा इशू कतई नहीं बनेगा.


कांग्रेस सांसद के मुताबिक 1977, 1989, 1996 और 2004 में भी विपक्ष ने बिना किसी चेहरे के ही चुनाव लड़ा था. ऐसा ही इस बार भी होना चाहिए. नीतीश कुमार या ममता बनर्जी की पार्टियों के नेताओं द्वारा उनके नाम पीएम फेस के तौर पर उछाले जाने को प्रमोद तिवारी ने स्वाभाविक बताया है. उनका कहना है कि हर कार्यकर्ता की यही इच्छा होती है कि उनका नेता सत्ता में शीर्ष स्थान तक पहुंचे. यह कतई गलत भी नहीं है, लेकिन सही समय आने पर ही इस बारे में उचित फैसला होगा. कांग्रेस पार्टी की अगुवाई और राहुल गांधी को पीएम फेस बनाकर चुनाव लड़ने के सवाल पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि फिलहाल यह न तो कोई शर्त है और न ही इसे विपक्ष की प्राथमिकता में होना चाहिए.


विपक्षी एकता पर दिया जवाब
उनके मुताबिक विपक्षी पार्टियों की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि किसी तरह से एकजुट होकर बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया जाए. अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के बाद विपक्ष आपस में बैठकर सब कुछ तय कर लेगा और यह आम सहमति से आसानी से हो सकता है. उनका आरोप है कि विपक्षी एकता में अगुवाई करने वाली पार्टी और पीएम फेस को लेकर बीजेपी जानबूझकर बार-बार सवाल खड़े करती है, ताकि विपक्ष में फूट पड़ी रहे और वह एकजुट ना हो सके. लेकिन इस बार ऐसा कतई नहीं होगा और विपक्ष एकजुट होकर अगले साल का लोकसभा चुनाव पूरी मजबूती व दमखम के साथ लड़ेगा.


पीएम फेस व पार्टी की अगुवाई कतई मायने नहीं रखेगी और ना ही इसे लेकर किसी तरह का विवाद व मनमुटाव होगा. प्रमोद तिवारी के मुताबिक जनता मोदी सरकार से ऊब चुकी है. सरकार हर मोर्चे पर फेल है और यह वक्त का तकाजा है कि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े. सत्ता परिवर्तन करें और जनता को राहत दिलाए.