Pramod Tiwari on One Nation One Election: केंद्र सरकार ने  पांच दिवसीय संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें 'वन नेशन वन इलेक्शन' (One Nation One Election) बिल पर चर्चा हो सकती हैं. इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है, जिसका अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को बनाया गया है. इसे लेकर अब अब देश की सियासत गरमा गई है. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी (Pramod Tiwari) ने कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति को बनाए जाने के फैसले पर भी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि ये एक गलत परंपरा डाली जा रही है. 


कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि "देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नियमों और परंपराओं से चलती है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति कभी भी एक निश्चित समय के बाद सत्र को बुला सकते हैं. लेकिन ये परंपरा मैं पहली बार देख रहा हूं कि अपना कार्यकाल पूरा कर चुके महामहिम राष्ट्रपति को सरकार के अधीन या सरकार के द्वारा गठित किसी समिति के अध्यक्ष बनाया हो, ऐसा पहले कभी हुआ हो ये याद नहीं आता है. आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है?" 



राष्ट्रपति को अध्यक्ष बनाने पर आपत्ति


प्रमोद तिवारी ने कहा कि "इस कमेटी का अध्यक्ष किसी सुप्रीम कोर्ट के जज को बनाया जा सकता था या फिर किसी और को भी ये जिम्मेदारी दी जा सकती थी लेकिन जानबूझकर महामहिम राष्ट्रपति को अपने अधीन कमेटी का अध्यक्ष बनाना गलत है, इन्होंने पार्लियामेंट के उद्घाटन के समय पहले कोविंद जी और अब वर्तमान महामहिम को दरकिनार कर राष्ट्रपति पद की गरिमा को कम करते हुए फीता काट दिया और अब ये गलत परंपरा डाल रहे हैं." 


'वन नेशन, वन इलेक्शन' के मुद्दे पर कांग्रेस नेता ने कहा कि "ये अभी हवा हवाई है. अभी इस पर कोई कंक्रीट स्वरूप नहीं आया है. ये समिति अपनी रिपोर्ट कब देगी ये भी नहीं पता. वर्तमान विधानसभाओं का क्या होगा? कर्नाटक में तो अभी कुछ दिन पहले ही चुनाव हुए हैं. इसलिए इन सब बातों पर कयास लगाने का कोई फायदा नहीं है. पहले पूरा स्वरूप आने दें फिर इस पर कांग्रेस अपनी प्रतिक्रिया देगी, लेकिन ये दिखाता है कि मोदी जी बहुत घबराएं हुए हैं." 


लोकतंत्र का गला घोंट रही है सरकार


संसद के विशेष सत्र बुलाने पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि "ये जुमले बाज सरकार है, इसका जुमला क्या है, किधर फेंक दे, कौन सी चीज़ फेंक दे कोई नहीं जानता. जब एक स्पेशल सेशन बुलाया जा रहा था तो क्या नेता विरोधी दल और दलों को बुलाकर एक बैठक नहीं करनी चाहिए थी. तमाम दलों के तमाम कार्यक्रम बन चुके हैं. क्या सबसे मिलकर इस पर चर्चा नहीं की जा सकती थी. ये सरकार लोकतंत्र का गला घोंटने पर अमादा है. परंपराएं तोड़ रही है. नियमों की गलत व्याख्या कर रही है, अगर दो तिहाई बहुमत चाहिए तो राज्यसभा में तो ये पास नहीं करा पाएंगे."


 उन्होंने कहा कि "इंडिया की बैठक से ध्यान हटाने के लिए ये सब पासे फेंके गए हैं. लेकिन इंडिया अब एनडीए के लिए एक मैसेज लेकर आ रही है कि अपना बोरिया बिस्तर समेटो अब देश में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था आ रही है." 


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