चारधाम सड़क परियोजना पर कांग्रेस सांसद ने उठाया सवाल, जानें पूरा मामला
उत्तराखंड के चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक ऑल वेदर रूट पर काम चल रहा है. जहां एक ओर इसकी चौड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर निशाना साधा हैं.
देहरादूनः ऑल वेदर रूट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. इसका उद्देश्य उत्तराखंड के चारधाम यात्रा को सुगम बनाना है. सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण इस परियोजना को लेकर जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर निशाना साधा हैं.
उत्तराखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा, 'इस परियोजना से उत्तराखंड के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा, जो कि भविष्य के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी हाल में आई आपदा में जिस तरह से हमारे पास आधुनिक उपकरण न होने की वजह से हम टनल में फंसे लोगों का रेस्क्यू नहीं कर पाए, उससे पर्यावरण से छेड़छाड़ करने से पहले सोचना चाहिए.'
क्या है ऑल वेदर रोड परियोजना?
उत्तराखंड में धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण स्थान गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक के लिए अभी साल में 6 माह तक ही जाने की सुगमता होती है, बाकी के महीनों में बर्फबारी के कारण सड़कें बंद हो जाती है. ऐसे में केंद्र सरकार ऑल वेदर रोड के जरिए इन चार धामों में साल के बारहों महीने पहुंचने लायक सड़क का निर्माण कर रही है जो कि इन चारधाम के साथ-साथ सीमा क्षेत्रों के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण सड़क होगी.
कितनी किमी का हुआ निर्माण?
12072 करोड़ रुपये की लागत से कुल 825 किमी सड़क का निर्माण इस परियोजना के अंतर्गत होना है. जिसके लिए कुल 53 प्रोजेक्ट शामिल किए गए हैं. 53 प्रोजेक्ट में से 40 प्रोजेक्ट सेंसन हो गए हैं और 13 प्रोजेक्ट इको सेंसटिव जोन में पड़ते हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं कुल 2450 करोड़ रुपये के 169 किमी सड़क का निर्माण हो गया हैं.
पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है मामला
चारधाम सड़क परियोजना को लेकर तकरीबन 56 हजार पेड़ों को काटना है. अब तक 36 हजार के करीब पेड़ों को काटा जा चुका है. पर्यावरण को पहुंच रही क्षति के कारण कई NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया, 'सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सड़क को बनाने के लिए पर्यावरण का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. हमने आदेश दिया है कि पेड़ों को रिप्लेसमेंट करने में जितना खर्चा आए, किया जाए, इसके साथ ही जिन पेड़ों की कटाई हो रही है, उसके जगह पर आंध्र प्रदेश की नर्सरियों से बड़े पेड़ मंगवा के लगाए जाएंगे.'
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है सड़क
उत्तराखंड, चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ राज्य है. ऐसे में सीमा तक फौज को जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए भी इस सड़क का निर्माण किया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा में कहा है कि इस सड़क के निर्माण से भारत की फौज को सीमा तक टैंक और हथियारों के साथ पहुंचने में काफी आसानी होगी और पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे कि पलायन रुकेगा और रोजगार बढ़ेगा.
सड़क की चौड़ाई को लेकर है विवाद
ऑल वेदर रुट के तहत बन रही सड़क को केंद्र सरकार 10 मीटर चौड़ी बनाना चाहती है, जिससे कि आर्मी के टैंकों से लेकर अन्य आधुनिक हथियार के साथ फौज सीमा पर पहुंच सके. लेकिन पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण और इको सेंसटिव जोन होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने 5.5 मीटर सड़क के निर्माण की इजाजत दी है. जिस पर केंद्र ने सरकार सुप्रीम कोर्ट में सड़क के और चौड़ीकरण करने को लेकर अपील दायर कर रखी है.
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