उत्तराखंड: भूमि विवाद पर गरमाई सियासत, कांग्रेस ने धामी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
Uttarakhand Congress PC: राजधानी देहरादून में कांग्रेस नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी की अगुवाई वाली धामी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. कांग्रेस ने सीएम धामी से इस्तीफा देने की मांग की है.
Dehradun News Today: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कांग्रेस नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर प्रदेश की धामी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, हरक सिंह रावत और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे.
कांग्रेस ने प्रदेश में जमीनों को लेकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार राज्य की जनता के साथ धोखा कर रही है. कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में भू कानूनों में बदलाव करके जमीनों के मामलों में 'पाप' किया गया.
कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने इन मामलों को और भी बदतर स्थिति में ले जाकर 'महापाप' किया है. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में भू-कानूनों को बदलकर कई महत्वपूर्ण जमीनों को अवैध तरीके से हस्तांतरण किया गया है.
'समिति की कार्रवाई का नहीं हुआ असर'
पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि राज्य में भू कानूनों को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन चल रहे हैं और जनता सरकार के रवैये से असंतुष्ट है. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने अगस्त्यमुनि में हाल ही में घोषणा किया था कि वे सख्त भू कानून लाने जा रहे हैं."
मनोज रावत ने कहा, "साल 2022 में गठित उच्चाधिकार समिति की कार्रवाई का अब तक कोई परिणाम नहीं दिखा." उन्होंने आरोप लगाया कि भू कानून में बदलाव कर कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है और सरकार ने इन जमीनों का हस्तांतरण करने में पारदर्शिता नहीं बरती है.
'पार्क स्टेट की भूमि में हुई धांधली'
कांग्रेस नेताओं ने हरिद्वार और पौड़ी जिले में हुए भूमि हस्तांतरण का सर्वेक्षण करने का दावा किया. उनके अनुसार, इस सर्वे में जमीनों के अवैध हस्तांतरण का मामला सामने आया है. उन्होंने मसूरी के पास स्थित पार्क स्टेट की 422 एकड़ जमीन का जिक्र किया, जिसे उत्तर प्रदेश के समय में पर्यटन विकास के लिए अधिग्रहित किया गया था.
कांग्रेस का कहना है कि 172 एकड़ जमीन में से 142 एकड़ एक एडवेंचर स्पोर्ट्स कंपनी को एक करोड़ रुपये सालाना किराए पर 15 वर्षों के लिए दे दी गई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने इस बहुमूल्य जमीन को एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से दिया है, जबकि इस जमीन का संरक्षण और रखरखाव करने के लिए सरकार ने एडीबी से 23 करोड़ का कर्ज लिया है.
'टेंडर में नहीं बरती पारदर्शिता'
मनोज रावत ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड सरकार अब केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की चोपता की जमीनों पर भी नजर गड़ाए हुए है. उन्होंने दावा किया कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया, उसकी शर्तों को सरकार ने अपने हिसाब से बदला. टेंडर में शामिल तीन कंपनियों का कार्यालय एक ही जगह पर था, जो यह संकेत करता है कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी. उन्होंने कहा कि इस जमीन से नियमविरुद्ध तरीके से हेलिकॉप्टर सेवाओं का संचालन किया जा रहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भू कानूनों में 2018 के बाद किए गए 11 संशोधनों पर सवाल उठाए. उनका कहना था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने भू कानून में जोड़ा था कि अगर जमीन का उचित उपयोग नहीं किया जाएगा तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी. लेकिन 2022 में धामी सरकार ने इस नियम को हटाकर प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया. माहरा ने यह भी कहा कि विपक्ष ने जब इन मुद्दों पर सदन में विरोध किया, तब भी सरकार ने इन बदलावों को मंजूरी दे दी.
'सरकार से उठ गया भरोसा'
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य के जल, जंगल और जमीन पर उत्तराखंड के निवासियों के अधिकारों की वकालत की और इन जमीनों के मुद्दों पर घोटाले का आरोप लगाया. आर्य ने कहा कि लैंड यूज बदलने से राज्य की जनता का सरकार पर भरोसा उठ गया है. उन्होंने सरकार से इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की और कहा कि कांग्रेस जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में तिवारी सरकार के दौरान लागू किया गया भू कानून बेहद सशक्त था. उनकी अध्यक्षता में गठित एक मंत्रिमंडल उपसमिति ने भू कानून में बदलाव के लिए सिफारिशें की थीं, लेकिन उन्हें अनदेखा कर दिया गया. रावत ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य के लोगों के साथ अन्याय कर रही है और जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जो एक राज्य आंदोलन जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है.
करन माहरा ने दी चेतावनी
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश में 1961-62 के बाद बंदोबस्ती नहीं हुई है, जो अब जरूरी है. उन्होंने कहा कि कुमाऊं मंडल विकास निगम ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर 'हेली सेवा' शुरू की, जिससे जनता में आक्रोश है.
करन माहरा ने कहा, "प्रदेश की करीब 80 फीसदी भूमि बंजर पड़ी हुई है, लेकिन सरकार निजी कंपनियों के लाभ के लिए जमीनों का हस्तांतरण कर रही है." माहरा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार जनता की जमीनें हड़पने का प्रयास जारी रखेगी तो राज्य में और भी बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है.
सीएम धामी से मांगा इस्तीफा
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य में एक न्यायिक आयोग की मांग की. उनका कहना था कि अगर मुख्यमंत्री धामी को लगता है कि गलत हो रहा है, तो तत्काल एक सख्त भू कानून लाने के लिए अध्यादेश जारी किया जाना चाहिए था. लेकिन सरकार ने कानून की घोषणा कर जनता को भ्रमित किया है. गोदियाल ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की भी मांग की.
कांग्रेस की इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद राज्य में भू कानून और जमीनों के मामलों पर चर्चाएं तेज हो गई हैं. विपक्षी दल बीजेपी सरकार पर राज्य की जनता के हितों की अनदेखी का आरोप लगा रहा है, जबकि राज्य की जनता इन आरोपों पर सरकार का पक्ष जानने के इंतजार में है. कांग्रेस का कहना है कि वह इस मुद्दे को लेकर संघर्ष जारी रखेगी ताकि जनता के हितों की रक्षा हो सके.
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