लखनऊ, (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सियासी ड्रामेबाजी जारी है। प्रदेश के विपक्षी दल विधानसभा के मैराथन सत्र का विरोध कर रहे रहे हैं, लेकिन इन विपक्षी दलों को अपने ही विधायकों ने धोखा दे दिया है। सबसे बड़ा धोखेबाजी का झटका तो कांग्रेस को लगा है। ये झटका इसलिए, क्योंकि एक तरफ जहां कांग्रेस मैराथन सत्र का विरोध कर रही थी, तो दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी की विधायक अदिति सिंह न सिर्फ विधानसभा सत्र में हिस्सा ले रही थीं, बल्कि उन्होंने सत्र के दौरान भाषण भी दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश की बीजेपी सरकार की जमकर प्रशंसा भी की।


रायबरेली (सदर) विधानसभा सीट से विधायक हैं अदिति


बता दें कि अदिति सिंह रायबरेली (सदर) विधानसभा सीट से कांग्रेस की विधायक है। अदिति ने बुधवार को पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के शांति मार्च में भी हिस्सा नहीं लिया था। जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि उन्होंने शांति मार्च में हिस्सा क्यों नहीं लिया, तो वो बोलीं- 'मुझे अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की फिक्र हैं। मैं एक शिक्षित विधायक हूं और मैं वही करूंगी, जो मुझे ठीक लगेगा।' ये कोई पहली बार नहीं है, जब अदिति ने पार्टी लाइन से इतर जाकर कोई फैसला लिया हो।


पहले भी पार्टी लाइन से अलग लिए फैसले


इससे पहले कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मोदी सरकार के फैसले का भी अदिति ने खुलकर समर्थन किया था, जबकि कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी। दरअसल, अदिति द्वारा उठाए गए इन कदमों को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वो खुद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की संसदीय सीट से ताल्लुक रखती हैं।


कांग्रेस नेता बयान देने से बच रहे


वहीं, कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अजय कुमाल लल्लू ने अदिति सिंह के विधानसभा सत्र में भाग लेने की घटना पर जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने इस पर अनभिज्ञता जताई। इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि ये मामला रायबरेली से जुड़ा होने के कारण कांग्रेस नेता इस पर बयान नहीं देना चाहते हैं।


गांधी परिवार की करीबी हैं अदिति


गौरतलब है कि अदिति का परिवार गांधी परिवार की करीबियों में से एक है। उनके पिता और पूर्व विधायक अखिलेश सिंह लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। इसी साल अगस्त में उनका निधन हो गया था। उनके निधन पर प्रियंका गांधी खुद उनके परिवार को सांत्वना देने दिल्ली से उनके आवास पर गई थीं।


विपक्षी दलों में ही दो फाड़


वहीं, मैराथन सत्र को लेकर विपक्ष के रुख से अलग चलते वाले सपा नेता नितिन अग्रवाल ने भी बीजेपी का समर्थन किया है और आम आदमी के रुख को न समझने के लिए विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं को निशाने पर भी लिया है। हालांकि, बुधवार को वो विपक्षी दलों की तरफ बैठे भी और अपना भाषण भी दिया।


सपा को तो उस वक्त झटका लगा, जब उनके दो सदस्यों शत्रुधा प्रकाश और मझुकर जेटली ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना लिखित भाषण भेजा और उनसे इन्हें कार्यवाही में करने का आग्रह भी किया। अध्यक्ष ने उन्हें ये अनुमति दे भी दी। सपा के एमएलसी रवि शंकर सिंह पप्पू ने भी सत्र के बहिष्कार के आह्वान का विरोध किया। बसपा को झटका देते हुए उनके दो विधायक अनिल सिंह और एमएलसी ब्रजेश सिंह ने भी सत्र में हिस्सा लिया।


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