Uttarakhand News: 2018 में हुए इन्वेस्टर समिट को लेकर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल, कहा- नहीं मिला राज्य को कोई फायदा
Uttarakhand News: उत्तराखंड कांग्रेस ने 2018 में हुए इन्वेस्टर समिट को लेकर बीजेपी पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 26 करोड़ खर्च किए जाने के बाद भी राज्य में कोई पूंजी निवेश नहीं हुआ.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में 2018 में हुए इन्वेस्टर समिट के खर्चे को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में ₹26 करोड़ खर्च किए, लेकिन राज्य को इसका क्या फायदा हुआ यह भी सरकार बताए. हालांकि यह मुद्दा बीजेपी के विधायक खजान दास ने सदन में भी उठाया था.
2018 में पूंजी निवेश के लिए उत्तराखंड में बड़े स्तर का इन्वेस्टर्स समिट का आयोजित किया गया. इस समिट के आयोजन पर सरकार ने तकरीबन 26 करोड रुपए खर्च भी किए. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखंड आए थे और देश के बड़े उद्योगपति घरानों को भी बुलाया गया. सरकार ने दावा किया कि समिट में तकरीबन 1 लाख 24 हाजर करोड़ के पूंजी निवेश के एमओयू पर साइन हुए हैं. जिससे बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर खुलेंगे.
फिलहाल कांग्रेस का आरोप है कि 3 साल बीत जाने के बाद आज तक उत्तराखंड में पूंजी निवेश नहीं हो पाया. जिसके साथ ही रोजगार भी नहीं मिले हैं, हालांकि औद्योगिक मंत्री गणेश जोशी का दावा है कि समिट के बाद 11 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट हो चुका है. जिससे 33 हजार लोंगो को रोजगार से जोड़ा जा चुका है. वहीं जुलाई 2021 तक 538 परियोजना पर काम चल रहा है, जिससे पूरे प्रदेश में तकरीबन 75 हजार के करीब लोगों को रोजगार मिलेगा.
वहीं दूसरी तरफ सरकार के दावे को कांग्रेस ने पूरी तरह से खोखला बताया है. कांग्रेस का आरोप है सरकार ने इन्वेस्टर समिट के नाम पर जनता की कमाई को खूब लुटाया गया. उस वक्त के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रोड शो करके सरकारी धन को खूब खर्च किए, लेकिन उसके बाद राज्य में 25 रुपये का भी इन्वेस्टमेंट नहीं हो पाया. कांग्रेस के महामंत्री मथुरा जोशी ने कहा कि सरकार यह बताए कि इन्वेस्टर्स सम्मिट के बाद उत्तराखंड में कितने लोगों को रोजगार मिला और कितने उद्योग खोले गए.
कांग्रेस के महामंत्री मथुरा जोशी का कहना है कि 'इन्वेस्टर सम्मिट के आयोजन को 3 साल बीत गए हैं, सरकार ने इस समिट पर करोड़ों रुपए खर्च भी कर डाले, लेकिन इसका राज्य को कितना फायदा हुआ इसका जवाब ना तो सरकार को पता है और ना ही विभाग के मंत्री को, विभागीय मंत्री ने सदन के भीतर भी गोलमोल जवाब दिया है.'
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