UP Politics: कांग्रेस से अलग चल रही सपा, गठबंधन में बढ़ रही दूरी, आए दिन हो रहे नए फैसले
UP News: इंडिया गठबंधन के दो अहम घटक दल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच रिश्तों में दरार दिख रही है. अखिलेश यादव कई फैसलों में कांग्रेस से अलग राह पकड़ रहे हैं.
INDIA Alliance: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रही है. दोनों के रिश्तों में खटास आ गई है. सपा लगातार गठबंधन से दूरी बनाती हुई दिख रही है. पिछले कुछ दिनों में पार्टी की ओर से कई ऐसे फैसले देखने को मिल रहे हैं जिससे सपा-कांग्रेस की कैमिस्ट्री में केमिकल लोचा दिखाई दे रहा है. फिर चाहे वो अडानी का मुद्दा हो या दिल्ली में आम आदमी पार्टी को समर्थन देना हो.
दिल्ली में अखिलेश यादव ने सोमवार को ऐलान किया कि वो आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हैं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को फिर से मौका दिए जाने की अपील की और कहा कि सपा दिल्ली में आप के साथ खड़ी है. उनके इस बयान से कयास लग रहे हैं कि सपा दिल्ली में चुनाव नहीं लड़ेगी. सपा का ये रुख कांग्रेस के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है. क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस से दूर हो रहे अखिलेश यादव
दिल्ली ही नहीं समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र में भी अकेले मुंबई महानगर पालिका का चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सपा पहले ही खुद को महाराष्ट्र विकास अघाड़ी से अलग कर चुकी है. सपा और कांग्रेस के बीच की दूरी यहीं कम नहीं होती, इसकी झलक संसद के शीतकालीन सत्र में भी देखने को मिली जब राहुल गांधी ने सँभल जाने की कोशिश की, तो सपा सांसद रामगोपाल यादव ने उनके इस कदम को फॉर्मेलिटी करार दिया.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अडानी के मुद्दे को लगातार संसद में उठाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, सपा ने इस मामले पर भी कांग्रेस से अलग दिख रही है. सपा को कांग्रेस का इस तरह उद्योगपतियों को निशाने लेना रास नहीं आ रहा है और अब यूपी विधानसभा सत्र में भी दोनों दल साथ दिखाई नहीं दे रहे. ऐसी कई बातें है जिससे ये साफ रहा है कि सपा अब खुद को कांग्रेस से अलग कर रही है.
सपा और कांग्रेस के बीच आई इस दरार की वजह मुस्लिम और दलित समीकरण माना जा रहा है. कांग्रेस जिस तरह से यूपी में दलित-मुस्लिम वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रही है वो अखिलेश यादव को रास नहीं आ रहा है. सपा लग रहा है कि कांग्रेस के इस कदम से उनके कोर वोटरों में सेंधमारी हो सकती है. हालांकि सपा अब भी गठबंधन में सब ठीक होने का दावा कर रही है लेकिन जो दिख रहा है उससे नजर फेरी नहीं जा सकती है. दोनों दलों के बीच की तल्खी कहां जाकर रुकेगी ये देखना दिलचस्प होगा.
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