UP Election 2022: कभी आगरा की सभी 10 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का क्यों लगातार गिरता गया ग्राफ, ये है वर्चस्व कम होने की वजह
UP Elections: 1985 के चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों के उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार मजबूत होने से कांग्रेस की स्थिति और खराब होती चली गई.
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UP Assembly Election 2022: पिछले 32 सालों से कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश राजनीतिक मरुस्थल बना हुआ है. ऐसे में ना केवल पूरे उत्तर प्रदेश में बल्कि आगरा में भी कांग्रेस की राजनीतिक राह पथरीली नजर आ रही है. एक दौर था जब आगरा में भी कांग्रेस का वर्चस्व था. अगर बात की जाए 1952 के पहले विधानसभा चुनाव की, तब कांग्रेस ने आगरा की सभी 10 सीटों पर विजय पाई थी, उस समय फिरोजाबाद जिले का एक बड़ा हिस्सा आगरा में ही था. पहला चुनाव ही था जब आगरा की सभी सीटें कांग्रेस की झोली में थीं. उसके बाद आज तक आगरा की सभी सीटें कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है. अब आगरा जिले में विधानसभा की 9 सीटें हैं.
कब कितनी सीटें मिलीं
कांग्रेस ने 1957 के चुनाव में 9 में से 5 सीटें जीती थीं, और 1962 के चुनाव में 4 तो 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारतीय जनसंघ से चुनौती मिलने लगी और लगातार सीटें घटने लगने लगीं और पार्टी की 3 सीटें आईं. ऐसे ही 1969 के चुनाव में कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं, वहीं 1974 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और 6 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते. 1977 विधानसभा चुनाव में इमरजेंसी के बाद प्रचंड कांग्रेस विरोधी लहर और जनता दल को मिले अभूतपूर्व समर्थन में भी कांग्रेस ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं 6 सीटों पर जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. 1980 में भी कांग्रेस 6 सीटें हासिल करने में सफल रही.
क्षेत्रीय दलों ने स्थिति और की खराब
1985 के चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों के उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार मजबूत होने से स्थिति और खराब होती चली गई. एक तरफ बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशना शुरू कर दिया, तो वहीं लोकदल जैसे क्षेत्रीय दल भी तेजी से उभरते हुए नजर आए. 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 5 उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे तो लोकदल की तीन सीटें और बीजेपी के एक प्रत्याशी ने भी यहां से जीत दर्ज की, जो साल 2017 आते आते आगरा की सभी 9 सीटों पर काबिज हो गई.
अब तक 17 विधानसभा गठित हो चुकी हैं. 1989 और 1991 की रामलहर में हुए चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. जबकि 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद भी उपजी सहानुभूति भी कांग्रेस का भला नहीं कर पाई. उसके बाद अब तक जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनमें से 1993 और 1996 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक एक सीट ही जीत सकी है. वहीं फिल्म स्टार राजबब्बर ने यूपी कांग्रेस की कमान संभाली लेकिन फिर भी उनकी अध्यक्षता में हुए चुनाव में भी आगरा में कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका और उत्तर प्रदेश में कुल 7 सीटें 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में आईं.
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