Kedarnath Reconstruction: नर नारायण पर्वतों से घिरा केदारनाथ हर हर महादेव और ऊं नम: शिवाय के मंत्र घोष से गुंजायमान रहता है. मंदाकिनी और सरस्वती की कल-कल ध्वनि केदारनाथ धाम की आध्यात्मिकता में नव रस का संचार करती है. कत्यूरी शैली में बना केदारनाथ मंदिर श्रद्धा और विश्वास ही नहीं वास्तुशिल्प का अद्भुत और विलक्षण उदाहरण है, जो चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थिति के बाद भी हजारों वर्षों से सनातन संस्कृति की धर्म ध्वजा को पर्वतराज हिमालय के केदार ऋंग पर फहरा रहा है.
आपदा में केदारपुरी हो गई थी जलमग्न
यहां साल 2013 की 16 और 17 जून को अब तक की सबसे भीषण आपदा आई. प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि पलक झपकते ही पूरी केदारपुरी जलमग्न हो गई. इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए, 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया था. इस आपदा में हज़ारों हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई. 2 हज़ार से अधिक भवनों का नामों-निशान मिट गया.
केदारनाथ की भीषण आपदा ने देश को झरझोर दिया था. राहत और बचावकार्य की तमाम कोशिशों के बाद भी ये आपदा देश की भीषणतम प्राकृतिक आपदाओं में से एक रही. नर नारायण की सेवा के उद्देश्य से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ धाम की आपदा में अपना अंशदान करना चाहा जो राजनीतिक कारणों से ठुकरा दिया गया था. लेकिन पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ के पुनर्निर्माण में जी जान लगा दिया.
त्रिस्तरीय सुरक्षा चक्र का हो रहा निर्माण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 नवंबर को एक बार फिर बाबा केदारनाथ धाम पहुंचे. प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी की यह 5वीं केदारनाथ यात्रा थी. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में केदारपुरी एक नई, सुरक्षित और सुविधायुक्त धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित हो रही है.
2013 की आपदा से सीख लेते हुए मंदिर परिसर को अभेद्य सुरक्षा प्रदान की गई है. मंदिर परिसर के चारों ओर त्रिस्तरीय सुरक्षा चक्र का निर्माण किया जा रहा है जिससे भविष्य की किसी भी आपदा से बाबा के धाम को सुरक्षित रखा जा सके. इस तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत मंदाकिनी सरस्वती नदी पर चेक डैम, फिर उसके बाद पत्थरों और बोल्डरों को रोकने के लिए मज़बुत लोहे की फेंसिंग और फिर मज़बूत अभेद्य दीवाल बनाई जा रही है, जो भविष्य की किसी भी प्राकृतिक आपदा से मंदिर परिसर और केदारपुरी में हानि की आशंका को कम कर देते हैं.
श्री आदि शंकराचार्य की नवनिर्मित समाधि का उद्घाटन
केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री आदि शंकराचार्य की नवनिर्मित समाधि का उद्घाटन किया और श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. साल 2013 की आपदा में आदिगुरू की समाधि क्षतिग्रस्त हो गई थी. एक बार फिर उसी स्थान पर आदिगुरू शंकराचार्य की समाधि बनाई गई है.
आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति करीब 12.5 फीट ऊंची है और एक ही शिला से बनाई गई है. 120 टन के पत्थर को बेहद खूबसूरती से तराश कर करीब 35 टन की यह प्रतिमा पिछले एक साल से अधिक समय में स्थानीय मूर्तिकार द्वारा तैयार की गई है.
समाधि स्थल को बनाया गया सुसज्जित
आदि गुरू शंकराचार्य समाधि की डिजाइन भी विशिष्ट है. श्रद्धालु एक गोलाकार परिक्रमा पथ से समाधि स्थल में प्रवेश कर सकते हैं. जहां शंकराचराचार्य जी की भव्य प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगें. वहीं समाधि से निकास के लिए भी गोलाकार पथ है, जिससे की समाधि की परिक्रमा भी पूरी हो जाती है.
आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि के चारों ओर शंकराचार्य कुटीर और शंकराचार्य संग्रहालय का निर्माण भी प्रस्तावित है. शंकराचार्य समाधि स्थल से सटे भूभाग पर शिव उद्यान का निर्माण किया जाएगा, जिसमें शिव और शक्ति से संबंधित अनेक मनोहारी पौधों से सुसज्जित किया जाएगा.
यह कार्य हुए पूरे
केदारनाथ पुनर्निर्माण के प्रथम चरण का कार्य पूर्ण हो चुका है. जिसमें टेंपल प्लाजा, एराइवल प्लाजा, मन्दाकिनी एवं सरस्वती नदी पर सुरक्षा दीवार का निर्माण, पांच घाटों का निर्माण, पांच अतिथिगृहों और तीन ध्यान गुफाओं का निर्माण शामिल है.
ये है प्रस्तावित
प्रधानमंत्री संगम घाट पुनर्विकास, प्राथमिक चिकित्सा और पर्यटक सुविधा केंद्र, प्रशासनिक कार्यालय और अस्पताल, दो अतिथि गृह, पुलिस स्टेशन, कमान और नियंत्रण केंद्र, मंदाकिनी आस्थापथ,कतार प्रबंधन और वर्षा आश्रय तथा सरस्वती नागरिक सुविधा भवन सहित विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे, जिनकी कुल लागत 180 करोड़ रुपये से अधिक है.
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