अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए अयोध्या में लगातार दूसरे दिन चल रही बैठक के दौरान यह साफ हो गया है कि नींव के लिए इंजीनियरिंग फिलिंग पद्धति का सहारा लिया जाएगा. इसके तहत जमीन की सतह से 12 मीटर नीचे अर्थात लगभग 40 फीट तक उस पूरी भूमि पर खुदाई की जाएगी जिस पर राम मंदिर का निर्माण होना है. इस पूरी भूमि को किस मैटेरियल से भरा जाएगा, इसको लेकर अभी मुंबई की लैब में रिसर्च चल रहा है, जिसकी रिपोर्ट अगले 15 दिनों के भीतर आने की संभावना है.


रिपोर्ट का इंतजार


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की माने तो जब तक खुदाई का कार्य होगा, तब तक खोदी गई भूमि मे किस सामग्री से फीलिंग की जानी है जो मंदिर की सतह को अधिक से अधिक मजबूत बनाएं इसकी रिपोर्ट भी आ जाएगी.


अभी तक लगभग 6 फिट की खुदाई राम मंदिर निर्माण स्थल पर हो चुकी है, इसे आगे कैसे बढ़ाया जाएगा और स्टेप दर स्टेप कैसे काम आगे बढ़ेगा और इस सारी प्रक्रिया में कितना कितना समय लगेगा, इसी को लेकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में ट्रस्ट के पदाधिकारी और निर्माण एजेंसी लार्सन एंड टूब्रो और एलएनटी के विशेषज्ञ के साथ आर्किटेक्ट सोमपुरा के साथ मंथन चल रहा है.


इंजीनियरिंग फिलिंग 


गुरुवार को नृपेंद्र मिश्र की मौजूदगी में भूमि का पूजन हुआ और भगवान विश्वकर्मा की पूजा की गई. इसी के बाद नृपेंद्र मिश्र ने पहला फावड़ा सांस्कृतिक रूप से खुदाई के लिए चलाया और इसी के बाद राम मंदिर निर्माण स्थल की खुदाई का कार्य चल रहा है, यानि कुल मिलाकर कहे तो सितंबर माह में पिलर्स के जरिए राम मंदिर की बुनियाद तैयार करने का प्लान फेल होने के बाद अब इंजीनियरिंग फिलिंग के जरिए राम मंदिर की नींव तैयार करने पर सहमति बन गई है और उसके अनुरूप कार्य भी शुरू हो गया है. लेकिन राम मंदिर निर्माण स्थल की खुदाई की गई भूमि में जमीन की सतह तक लाने के लिए कौन-कौन से मैटेरियल की फिलिंग की जाएगी, इस पर अभी रिसर्च चल रहा है और रिपोर्ट आने के बाद इंजीनियरिंग फिलिंग के जरिए राम मंदिर की बुनियाद तैयार की जाएगी और इसके बाद बुनियाद के ऊपर का कार्य शुरू होगा.


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