Haridwar News: हरिद्वार में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बेघर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर इन लोगों के लिए नगर निगम का प्रस्तावित रैन बसेरा अब तक अधूरा पड़ा है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के तहत 1.90 करोड़ रुपये की लागत से उत्तरी हरिद्वार के पावन धाम के समीप बनाए जा रहे इस रैन बसेरे का निर्माण फरवरी 2024 में शुरू किया गया था. इसे नौ महीने में पूरा होना था, लेकिन अब तक केवल भूतल का काम ही आधा-अधूरा हो पाया है.


सर्द हवाओं के बीच बेघर लोग फुटपाथ और खुले स्थानों पर रात बिताने को मजबूर हैं. जबकि नगर निगम के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि रैन बसेरे का निर्माण कार्य अगले तीन महीने में पूरा हो जाएगा. यह रैन बसेरा 140 शहरी बेघरों की क्षमता का है, जिसमें महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग डोरमेटरी, अटैच टॉयलेट, और केयरटेकर रूम जैसी सुविधाएं प्रस्तावित हैं. नगर निगम के अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रवाण ने बताया कि निर्माण स्थल के पास अतिक्रमण और पानी की लाइन शिफ्टिंग जैसे मुद्दों के चलते निर्माण कार्य में देरी हुई है. उन्होंने कहा, "निर्माण कार्य प्रथम तल तक पहुंच चुका है और तीन महीनों में इसे पूरा कर लिया जाएगा."


पहले से बने रैन बसेरों की स्थिति
हरिद्वार के रोड़ी बेलवाला क्षेत्र में बने महिला और पुरुष रैन बसेरों का हाल भी संतोषजनक नहीं है. हाल ही में जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने इन रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया. उन्होंने महिला रैन बसेरे की छत की सफाई और शौचालयों को देर रात तक खोलने के निर्देश दिए. निरीक्षण के दौरान पानी, बिजली, और शौचालय की व्यवस्थाएं दुरुस्त मिलीं, जिससे डीएम ने संतोष जताया.


हरिद्वार में ठंड के मौसम में बेघर लोगों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. हर साल सर्दियों में हजारों लोग फुटपाथों और खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हैं. नगर निगम का अधूरा रैन बसेरा इन लोगों के लिए इस सर्दी में भी कोई राहत नहीं दे सकेगा. हालांकि, नगर निगम प्रशासन का कहना है कि निर्माण कार्य पूरा होते ही यह रैन बसेरा जरूरतमंदों को समर्पित कर दिया जाएगा. स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. कहा रैन बसेरे का काम तय समय में पूरा न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है.


अधिकारियों के दावे और हकीकत
नगर निगम के अधिकारी जहां निर्माण कार्य जल्द पूरा होने का दावा कर रहे हैं, वहीं अधूरे पड़े भूतल और धीमी निर्माण गति को देखते हुए इस सर्दी में इसका उपयोग संभव नहीं लगता. जब तक यह रैन बसेरा तैयार नहीं होता, बेघर लोगों को ठंड से बचने के लिए अन्य व्यवस्थाओं का सहारा लेना पड़ेगा.हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर, जहां हर दिन हजारों लोग आते हैं, वहां जरूरतमंदों के लिए अधूरे रैन बसेरे प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करते हैं.


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