देहरादून: उत्तराखंड में कई लोगों को तीन महीने से बिजली के बिल नहीं मिले हैं, ऐसे में एक साथ बिजली के बिलों का बोझ आम जनता पर पड़ेगा. जो कि उपभोक्ताओं के लिए बड़ा बोझ बनेगा. उत्तराखंड में एक अप्रैल से बिजली के दामों में भी इजाफा किया गया था, जिसके बाद से अभी तक कई उपभोक्ताओं को बिल नहीं मिले हैं.


एक अप्रैल 2021 से उत्तराखंड में बढ़े थे बिजली के दाम


एक अप्रैल से उत्तराखंड में बिजली महंगी होने का झटका उपभोक्ताओं को लगा था. हालांकि बीपीएल और 100 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को इसमें राहत दी गई थी. बढ़ाई गई दरें एक अप्रैल से लागू कर दी गई थीं. उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्धारा बिजली के दाम बढ़ाये जाने के बाद से अभी तक कई उपभोक्ताओं को बिजली का बिल ही नहीं मिला, ऐसे में जहां एक ओर दाम भी बढ़े वहीं तीन महीनों का बिल एक साथ आने पर बड़ा बोझ उपभोक्ताओं को झेलना पड़ेगा.  


यूपीसीएल ने कोविड को माना बिलों की देरी की वजह


यूपीसीएल इसका बड़ा कारण कोविड महामारी को बता रहा है. यूपीसीएल का कहना है कि बिजली विभाग के कई कर्मचारी कोविड के चपेट में रहे साथ ही कई गांवों में भी कोविड की वजह से लोगों ने कर्मचारियों के आने का भी विरोध किया था. मई के महीने में उत्तराखंड में कोविड संक्रमण बड़े स्तर पर फैला जिस दौरान लोगों ने संक्रमण के ख़तरे के चलते बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी गांवों में नहीं आने दिया. ये भी एक बड़ी वजह रही की कर्मचारी यूनिट डिटेल्स इकठ्ठा नहीं कर पाये थे.


उपभोक्ताओं पर नहीं लगाया जाएगा कोई सरचार्ज


यूपीसीएल के डायरेक्टर ऑपरेशन अतुल अग्रवाल ने कहा कि बिजली बिलों में देरी हुई है लेकिन जिन लोगों को बिल समय से नहीं मिले हैं उसका कोई सरचार्ज नहीं लगेगा और जल्द ही बिजली के बिल जारी करने के निर्देश दे दिये गये हैं. बताते चलें कि राज्य में करीब 22 लाख बिजली के उपभोक्ता हैं, जिनमें से करीब 15 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं. 


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