Bhartiya Akahara Parishad के अध्यक्ष पद के लिए अखाड़ों में घमासान, आपसी खींचतान बढ़ी
Bhartiya Akahara Parishad: महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद के लिए अखाड़ों के बीच जबरदस्त टकराव सामने आया है. सभी अखाड़े अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.
Controversy Over Bhartiya Akahara Parishad chief Post: महंत नरेंद्र गिरि की खुदकुशी के बाद खाली हुई अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर अखाड़ों के बीच महाभारत छिड़ गई है. तमाम अखाड़े इस पद पर अपनी दावेदारी करते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं. अध्यक्ष पद को लेकर 25 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. वैष्णवों के तीनों अखाड़े पहले ही अखाड़ा परिषद से अलग हैं. कुछ दूसरे अखाड़ों ने इस बैठक के बहिष्कार का एलान कर माहौल को और गरमा दिया है. कई अखाड़ों ने तो अध्यक्ष पद न मिलने पर परिषद से अलग हो जाने की धमकी भी दी है. ऐसे में पचीस अक्टूबर की बैठक कोरम के अभाव में टाली जा सकती है या फिर आपसी सहमति बनाने के लिए चुनाव को कुछ महीनों के लिए स्थगित भी किया जा सकता है.
सबकी अपनी दावेदारी
अध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले अखाड़ों में कोई अपना मुख्यालय प्रयागराज में होने की दुहाई दे रहा है तो कोई परंपरा की. कोई अभी तक अध्यक्ष पद कभी नहीं मिलने के आधार पर दावेदारी जता रहा है तो कोई कार्यवाहक के बहाने कुर्सी पर काबिज़ होना चाहता है. गौरतलब है कि साधू -संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने महीने भर पहले बीस सितम्बर को अपने बाघम्बरी मठ में फांसी पर लटककर खुदकुशी कर ली थी. उनका शरीर ठंडा होने से पहले ही अखाड़ों ने खाली हुए अध्यक्ष पद पर दावेदारी ठोंकनी शुरू कर दी.
जबरदस्त टकराव के आसार
महंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े से थे, लिहाज़ा सन्यासियों का यह अखाड़ा अब अपने किसी दूसरे संत को इस पद पर बिठाना चाहता है. महंत नरेंद्र गिरि की षोडसी के दिन पांच अक्टूबर को जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि ने यह कहकर दावेदारी कर दी कि उनके अखाड़े को कभी अध्यक्ष का पद नहीं मिला है. जूना सबसे बड़ा अखाड़ा है, लिहाजा इस बार अध्यक्ष का पद उसे ही मिलना चाहिए. निर्मल अखाड़े के महंत देवेंद्र शास्त्री अभी उपाध्यक्ष हैं. उनका मानना है कि उन्हें ही कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया जाए. सन्यासियों का महानिर्वाणी अखाड़ा प्रयागराज में मुख्यालय की दुहाई देकर अपने लिए अध्यक्ष का पद चाहता है. अगला कुंभ तीन साल बाद प्रयागराज में ही है, ऐसे में उसकी दावेदारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता. दोनों पंचायती अखाड़े भी अब खुलकर अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी जताने लगे हैं. सन्यासियों के आनंद अखाड़े ने भी ताल ठोंक दी है.
अखाड़ों में बढ़ी आपसी खींचतान
वैष्णवों के तीनों अणी अखाड़े में एकजुट होकर अपने लिए अध्यक्ष का पद मांग रहे हैं. वैष्णव अखाड़े हरिद्वार कुंभ से ही अखाड़ा परिषद से अलग हैं और अध्यक्ष पद मिलने पर ही परिषद में वापस आने का दावा कर रहे हैं. कई अखाड़े अपनी दावेदारी को कमज़ोर मानते हुए पचीस अक्टूबर की बैठक टलवाना चाहते हैं. अब तक सात अखाड़े इस बैठक को टालने की मांग उठा चुके हैं. आपसी खींचतान बढ़ने के बाद परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि भी अब यह कहने लगे हैं कि आपसी राय नहीं बनने पर कुछ दिनों बाद फिर से बैठक बुलाई जा सकती है.
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