प्रयागराज, मोहम्मद मोइन. मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कही जाने वाली राष्ट्रीय नदी गंगा के पानी की खूबियों से तो सभी वाकिफ है, लेकिन अब दावा यह किया जा रहा है कि गंगाजल का इस्तेमाल कर कोरोना की महामारी से बचा जा सकता है. गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता का दावा है कि गंगाजल पीकर न सिर्फ शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाते हुए कोरोना को मात दी जा सकती है, बल्कि इसमें मौजूद बैक्टीरियोफाज तमाम दूसरे वायरसों की तरह कोरोना को भी ख़त्म कर लोगों को इस बीमारी से निजात दिला सकता है. मतलब साफ़ है कि गंगाजल कोरोना के मरीजों के लिए दवा की तरह काम कर सकता है. अपने इस दावे के पीछे उन्होंने गंगाजल को लेकर दुनिया भर में हुई तमाम रिसर्च के नतीजों का हवाला दिया है. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की सिफारिश पर आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च इस दावे पर अरुण गुप्ता की टीम का प्रेजेंटेशन भी ले चुकी है.


गंगाजल के जरिये कोरोना के इलाज के दावे में कितनी सच्चाई है, इसका पता तो आईसीएमआर या दूसरी संस्थाओं की रिपोर्ट सामने आने के बाद ही चलेगा, लेकिन यह ज़रूर कहा जा सकता है कि महामारी के इस दौर में यह दावा उम्मीद की एक किरण के तौर पर ज़रूर नज़र आ रही है. इस दावे को सीधे तौर पर इसलिए नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि दावा करने वाले शख्स को गंगा मामलों के एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर वकील अरुण गुप्ता गंगा प्रदूषण मामलों में न सिर्फ एमिकस क्यूरी हैं, बल्कि गंगा की बेहतरी के लिए काम करने वाली तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से भी वह जुड़े हुए हैं. गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिलाने में उनका भी अहम रोल रहा है तो साथ ही प्रस्तावित गंगा एक्ट का ड्राफ्ट भी उन्होंने ही तय किया है. उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक गंगा की सूरत बदलवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती जब गंगा मंत्रालय की मुखिया थीं, तो वह उनके ख़ास सलाहकारों में शामिल थे.



गंगा जल में होता 'बैक्टीरियोफाज'


बहरहाल अब बात उस दावे की जिसे अरुण गुप्ता ने किया है. दावा यह है कि उत्तराखंड में गंगोत्री से निकले गंगाजल का इस्तेमाल कर शरीर की इम्युनिटी पावर को बढ़ाते हुए कोरोना को हराया जा सकता है. यानी इम्युनिटी को मजबूत कर न सिर्फ कोरोना से जंग लड़ी जा सकती है, बल्कि उसे मात भी दी जा सकती है. दावा यहीं तक सीमित नहीं है. कहा यह भी जा रहा है कि अगर किसी को कोरोना हो भी गया है तो उसे गंगाजल पिलाकर इस बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है. यानी कोरोना पीड़ितों के इलाज में गंगाजल दवा के तौर पर काम करेगा. अरुण गुप्ता के मुताबिक़ पोलैंड युनिवर्सिटी ने साल 2016 में, यूएसए की स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी ने साल 2019 में और भारत के नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नागपुर ने साल 2007 और 2007 में की गई रिसर्च में यह पाया है कि गंगाजल में तमाम रेडियो एक्टिव एलीमेंट के साथ ही बैक्टीरियो फाज नाम का एक ऐसा वायरस पाया जाता है जो न सिर्फ गंगा के पानी में मौजूद तमाम बैक्टीरिया को ख़त्म करता है, बल्कि इसमें पाए जाने वाले तमाम तरह के दूसरे वायरस को भी नष्ट कर देता है. उनके मुताबिक़ गंगाजल में आक्सीजन की मात्रा काफी ज़्यादा होती है. इसके साथ ही इसमें पाए जाने वाले कांपर - मैग्नीशियम- कैल्शियम- ज़िंक और फेरस जैसे तत्व शरीर की इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं. इम्युनिटी बढ़ने पर कोरोना का असर न के बराबर हो जाता है. इसके साथ ही बैक्टीरियोफाज सीधे वायरसों पर अटैक कर इसके RNA यानी रोबो न्यूकिक एसिड को चौपट कर देता है. कोरोना भी RNA के क्रिस्टलाइज फ़ार्म में ही रहता है, इसलिए गंगाजल के ज़रिये इसे भी ख़त्म किया जा सकता है.


अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे के साथ इस पर गहराई से रिसर्च किये जाने और रिसर्च के नतीजों के आधार पर गंगाजल से दवा बनाकर कोरोना के खात्मे की संभावनाएं तलाशने की अपील करते हुए पिछले महीने ही राष्ट्रपति -प्रधानमंत्री और NMCG को लेटर भेजा था. 23 जनवरी को भेजे गए लेटर के आधार पर NMCG ने ICMR से इस दावे की हकीकत का पता लगाने को कहा था. अरुण गुप्ता के मुताबिक़ NMCG की सिफारिश पर ICMR ने 30 अप्रैल को उनकी टीम का प्रेजेंटेशन भी लिया था. वकील अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे को लेकर हाईकोर्ट तक जाने की बात कही है. उनका कहना है कि अगर गंगाजल के ज़रिए कोरोना के खात्मे पर रिसर्च नहीं की जाती है तो वह हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे.


साधु-संत भी मानते हैं गंगा जल में है औषधिय तत्व


वकील अरुण गुप्ता के इस दावे से तमाम लोग बेहद उत्साहित हैं. अपने इस दावे को आधार देने के लिए वह यह दलील भी दे रहे हैं गंगा वाले राज्यों और शहरों में कोरोना के मामले बेहद कम हैं. जो मामले हैं भी उनमे से ज़्यादातर दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों की वजह से हैं. दूसरी तरफ प्रयागराज के साधू संत भी यह मानते हैं कि गंगाजल में कुछ ऐसा ख़ास तो है, जो इसके जल को लम्बे अरसे तक खराब नहीं होने देता. गंगा सेना के संयोजक स्वामी आनंद गिरि का कहना है कि गंगा को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी इसके पानी की खूबियों की वजह से ही कहा जाता है. उनके मुताबिक़ गंगा में तमाम ऐसे औषधीय तत्त्व हैं, जो लोगों की ज़िंदगी और सेहत के लिए खासे फायदेमंद हैं, हालांकि वह गंगाजल से कोरोना के इलाज के दावे को बिना किसी प्रामाणिक रिसर्च के स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि गंगाजल के सेवन से शरीर की इम्युनिटी तो बढ़ती है, लेकिन इससे कोरोना के इलाज के दावे पर वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों की रिसर्च ज़रूरी है. उनके मुताबिक़ कोरोना से तमाम लोग जूझ रहे हैं. ऐसे में सरकार को गंगाजल पर रिसर्च कराकर इसका सच दुनिया के सामने रखना चाहिए.


गंगाजल के जरिये कोरोना के इलाज के दावे इससे पहले भी कई लोग कर चुके हैं. देश इन दिनों कोरोना की महामारी से जूझ रहा है. दुनिया भर में हो रही तमाम रिसर्च के बावजूद अभी तक इसकी वैक्सीन के आसार दूर तक नज़र नहीं आ रहे हैं. ऐसे में यह दावा तमाम लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण की तरह है. अगर गंगाजल के ज़रिये कोरोना का इलाज मुमकिन होता है तो यह बेहद सस्ता भी होगा. ऐसे में ज़रूरत पहले प्रामाणिक और वैज्ञानिक रिसर्च की है, जिसके ज़रिये इस दावे की हकीकत का पता लगाया जा सके.