एबीपी गंगा। जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से देश लॉकडाउन (LockdownInIndia) है। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों से लेकर तमाम उन लोगों की सराहना हो रही है, जो कोरोना हीरोज ( Corona Heroes) बनकर लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। इस मुश्किल वक्त में एक नाम और चर्चे में हैं, जिनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। इनका नाम हैं मीनल दाखवे भोसले, जो पेशे से वायरोलॉजिस्ट ( विषाणु विज्ञानी) हैं। जिन्होंने अपने अमूल्य योगदान से कोरोना की जंग के दौरान राहत पहुंचाने वाली खबर दी है।
दरअसल, इस संकट की घड़ी में मीनल ने देश को पहली कोरोना टेस्ट किट बनाकर दी है। महिला वैज्ञानिक मीनल अपनी प्रेग्नेंसी के आखिरी घंटों तक काम करती रहीं और नतीजा सबके सामने हैं। आज भारत के पास अपनी पहली कोरोना टेस्ट किट है। आइए जानते हैं, आखिर मीनल दाखवे भोसले कौन हैं (Virologist Minal Dakhave Bhosale) और हमें उनपर क्यों गर्व होना चाहिए।
नौवां महीने प्रेग्नेंसी का वो चरण होता है, जब डिलीवरी का वक्त होता है। ऐसे वक्त में डॉक्टर्स खुद भी प्रेग्नेंट महिलाओं को घर पर ही रहने की सलाह देते हैं। कहते हैं ऐसे वक्त में काम न करें, लेकिन मीनल देश पर आए कोरोना के संकट से चिंतित थीं। उनके ऊपर ऐसे कम कीमत वाले कोरोना टेस्टिंग किट बनाने की जिम्मेदारी थी, जो आम जन के काम आए, ताकि आसानी से ये पता चलाया जा सकें कि किसे कोरोना है और किसे नहीं। इसी जुनून और कोरोना संकट से निपटने के लिए सारे प्रयासों पर काम करते हुए वायरोलॉजिस्ट मीनल दाखवे भोसले ने अपनी डिलीवरी के एक दिन पहले ये किट बनाकर तैयार कर दी, जो देश की पहली कोरोना टेस्टिंग किट है।
बता दें कि मूल रूप से मीनल महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अहिल्यादेवी हाईस्कूल से की और इसके बाद आगे की पढ़ाई पुणे यूनिवर्सिटी से की। इसके बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉली में काम किया। साल 2017 में मीनल की शादी हुई थी। उनके पति प्रवीण भोसले यूरोफिंस जेनोमिक्स इंडिया नाम की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी में काम करते हैं। जिन्होंने कंप्यूटर साइंस और आईटी की पढ़ाई की है।
बता दें कि मौजूदा वक्त में मीनल मायलैब लाइफसोल्यूशंस में रीसर्च एंड डेवलपमेंट लैब में हेड के तौर पर काम कर रही हैं। जो कि एक बायोटेक्नोलॉजी टूल्स कंपनी है। ये कंपनी मूल रूप से रीसर्चर्स और डायग्नोस्टिक प्रोफेशनल्स के लिए काम करती है।
इस कंपनी को कुछ दिन पहले ही कोरोना टेस्ट किट बनाने के लिए मंजूरी मिली थी। इसकी टीम को मीनल हेड कर रही थीं। इस दौरान वो 9 महीने की गर्भवती थीं, यानी कभी भी उनकी डिलीवरी हो सकती थी। इसके बावजूद उन्होंने इस प्रोटेक्ट को पूरा करने का निर्णय लिया और अपनी डिलीवरी के एक दिन पहले उन्होंने ये किट बनाकर तैयार कर दी।
अपनी टीम के साथ मिलकर मीनल ने रिकॉर्ड 6 हफ्ते में देश की पहली कोरोना टेस्टिंग किट बना दी। अपनी कंपनी को इवैल्यूवेशन के लिए ये किट देने के अगले ही दिन उन्होंने पुणे के अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। मीनल ने कहा कि इस किट को बनाने के बाद उन्हें ऐसा अहसास हुआ कि उन्होंने दे बच्चों को एक साथ जन्म दिया है
गौरतलब है कि मीनल जिस टीम को हेड कर रही थीं, उसमें 10 सदस्य शामिल थे। टीम ने अपना ये प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद 18 मार्च को ही टेस्टिंग किट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को सौंप दी थी।
मीनल की टीम ने जिस किट को तैयार किया है, उसकी खास बात ये है कि ये आम आदमी की पहुंच में आती है। इस किट से 100 सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं और इसका खर्च में महज 12 सौ रुपये आता है। वहीं, विदेशी कोरोना टेस्टिंग किट की बात करें, तो उसका खर्च 45 सौ रुपये आता है।
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