लखनऊ: उत्तर प्रदेश ने कोरोना के दूसरे स्ट्रेन में भारी तबाही झेली है. अभी हालात सुधरे जरूर हैं लेकिन संक्रमण का खतरा बना हुआ है. खतरा किसी और पर नहीं मासूम जिंदगियों पर है. इस डरावने माहौल के बीच करीब एक साल से सहमे बच्चों को स्ट्रेन-3 की खबरें खौफजदा कर रही हैं.
ऐसे में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक अभिभावक की भूमिका में सामने आए हैं. बच्चों को बचाने की दिशा में उन्होंने कई बड़ी पहल की है. योगी का यह मॉडल बच्चों की सुरक्षा के साथ ही उन्हें सहायता भी प्रदान करेगा.
नवंबर महीने के आसपास आएगी कोरोना की तीसरी लहर- वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का दावा है कि नवंबर के आसपास कोरोना की तीसरी लहर आएगी, जो दूसरी से भी खतरनाक होगी. इस लहर को बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में लागू किये गए योगी मॉडल में तीन चीजें अहम है. पहला 12 साल से छोटे बच्चों के अभिभावकों को पहले टीका लगाने का फैसला किया गया है. इसके लिए अलग अभिभावक बूथ बनाए जाएंगे.
इस श्रेणी में आने वाले अभिभावकों का वैक्सिनेशन प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश के हर बड़े शहर में 50 से 100 PICU (पीकू) यानी पीडियाट्रिक (बच्चों के) ICU बेड बनाने की शुरुआत की गई है. इसमें रेलिंग वाले छोटे बिस्तर होंगे, बच्चों की जरूरत के मुताबिक दवाइयों, डॉक्टरों और ऑक्सीजन बेड्स का इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही इसके लिए बाल रोग विशेषज्ञों और नर्स आदि को विशेष प्रशिक्षण देना शुरू किया गया है.
कोरोना के चलते जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया योगी सरकार करेगी उनकी मदद
इस दिशा में कई जा रही तैयारियों का जायजा लेने खुद मुख्यमंत्री योगी अलग-अलग शहरों का दौरा भी कर रहे हैं. इसी क्रम में कोरोना की वजह से जिन बच्चों ने अपने मां-बाप को खो दिया है, उन्हें सरकार कई प्रकार से मदद करेगी. इसके तहत न केवल उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि पढ़ाई-लिखाई भी मुफ्त की जाएगी. इसका ब्यौरा जिलों से मंगाया जा रहा है. अभी तक ऐसे 555 बच्चों की सूची आ चुकी है.
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